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लोको पायलटों को दी जा रही बेहतरीन सुविधायें, वर्किंग कंडीशन में आया है सुधार….

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बरेली – पूर्वोत्तर रेलवे पर सभी बड़ी लाइनों पर शत-प्रतिशत विद्युतीकरण पूरा हो चुका है, जिसके फलस्वरूप सभी ट्रेनों का संचालन इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के द्वारा किया जा रहा है। इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के आ जाने से लोको पायलट के वर्किंग कंडीशन में उल्लेखनीय सुधार हुये हैंय जैसे कि डीजल लोकोमोटिव की तरह इसमें शोर नहीं होता है,

 इसकी कैब में पर्याप्त जगह है, लोको पायलट की सीट आरामदायक है तथा बड़ी विंडो साइज होने से दृश्यता भी बेहतर है। इससे लोको पायलट की सुविधायें बढ़ी हैं तथा संरक्षा में भी सुधार हुआ है। लोको पायलट को पर्याप्त रेस्ट मिल पाये, इस हेतु पूर्वोत्तर रेलवे पर स्थित सभी 18 रनिंग रूम में ए.सी. लगाया गया है।

पिछले 10 वर्षों में आधे से ज्यादा लोको केबिनों को एर्गोनोमिक सीटों, वातानुकूलन और अन्य सुधारों के साथ अपग्रेड किया गया है।

सभी नये लोकोमोटिव के कैब एयर कंडीशन्ड आ रहे हैं, पूर्वोत्तर रेलवे पर 176 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में ए.सी. लगे हुये हैं। जिसमें से इज्जतनगर मंडल पर कुल 39 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में ए.सी. लगे हुये हैं। इसके अतिरिक्त 90 लोकोमोटिव में ए.सी. लगाने के लिये स्वीकृति मिल चुकी है। जिसमें से इज्जतनगर मंडल पर 17 लोकोमोटिव में ए.सी. लगाने का प्रावधान हैं।

सभी नये लोकोमोटिव्स में शौचालय लगाये जा रहे हैं। 2014 से पहले यह निर्माण योजना का हिस्सा भी नहीं था। पुराने लोकोमोटिव्स में शौचालय लगाने के लिये रेट्रोफिटिंग की जा रही है। इसके लिये डिजाइन में संशोधन भी किये जा रहे हैं।

मालगाड़ियां कई स्टेशनों और यार्ड में रुकती हैं। इन स्टेशनों पर पर्याप्त समय होता है, जिससे कर्मचारी शौचालय का उपयोग कर सकते हैं। साथ ही यह समय नाश्ते के लिये भी उपयोग में लाया जा सकता है।

सबअर्बन तथा मेट्रो ट्रेनों का परिचालन अल्प दूरी के लिये किया जाता है और इनके चालक दल टर्मिनल स्टेशनों पर शौचालय का उपयोग करते हैं। पैसेंजर ट्रेनों पर कार्यरत कर्मचारी स्टेशन पर ट्रेन के खड़े रहने के दौरान ट्रेन के शौचालय का उपयोग करते हैं और इस समय का उपयोग नाश्ते के लिये भी करते हैं। स्टेशन के कर्मचारी लोको पायलटों को सदैव सहयोग देते हैं। लोको पायलटों को वॉकी टॉकी की सुविधा भी दी गई है इसके द्वारा वह स्टेशन कर्मचारियों के सम्पर्क में रहते हैं।

जिन मार्गों पर भारी ट्रैफिक रहता है, वहाँ नये रनिंग रूम बनाये जा रहे हैं। इन प्रयासों से लोको पायलटो के वर्किंग आवर्स में उल्लेखनीय कमी आई है।

कोहरे में सुरक्षा के लिये फॉग- सेफ्टी उपकरण, कवच, ड्राइवर अलर्ट सिस्टम और इंप्रूव्ड ब्रेकिंग सिस्टम जैसी तकनीकों से रेलवे सेफ्टी बेहतर हुई है और लोको पायलटों को भी काफी सुविधा मिली है।

ऑनबोर्ड सुविधायें, उन्नत तकनीकें और रेस्ट के लिये पर्याप्त समय से लोको पायलटों के कार्य वातावरण लगातार बेहतर हुये हैं।

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