Breaking News

उत्तराखंड में 9 नए डिप्टी कलेक्टरों की तैनाती, देखें किसे मिला कौन सा जिला…. BIG BREAKING: सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी बनभूलपुरा मामला फिर टला, अब 16 दिसंबर को होगी सुनवाई सुरक्षा व्यवस्था बनी कड़ी…. रुद्रपुर: डीएम नितिन सिंह भदौरिया ने किया न्यायालय का वार्षिक निरीक्षण, पत्रावलियों को सुव्यवस्थित रखने के निर्देश…. रुद्रपुर: युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की पहल तेज़ वीर चंद्र सिंह गढ़वाली व होमस्टे योजना के आवेदकों के साक्षात्कार संपन्न…. रुद्रपुर: मानवाधिकार दिवस पर महिलाओं को मिली जागरूकता की शक्ति, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से बचाव पर खास सत्र…. धामी कैबिनेट के ऐतिहासिक फैसले: नैनी सैनी एयरपोर्ट अब AAI के हवाले, किसानों से लेकर कारोबार तक….

अपने बच्चों को  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचार धारा से जोड़ना चाहिए इं. डीपीएस रावत….

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

ख़बर शेयर करें -

देहरादून – एक प्रेस वार्ता में इं. डीपीएस रावत ने कहा कि आने वाली पीढ़ी में हमें अपने युवा पीढ़ी को संघ की विचार धारा से जोड़ना चाहिए, क्यों कि आगे का भविष्य ही युवाओं का ही हैं, आज हम हिन्दुओं में एकता नहीं है हम जात पात धर्म के आधार पर  बटे  हुए है,जिनको कि संघ की विचार धारा से जोड़ना बहुत जरूरी हैं। हमारे देश में पैंतीस प्रतिशत आज युवा है। जिस तरह से देश आगे बढ़ रहा है जरूर हम एक दिन  पूरे संसार मे हमारी सनातनी हिन्दू विचार धारा से दुनिया मे शान्ति का सन्देश जायेगा। आज दुनिया भारत  का लोहा मान रही हैं,

 इं. डीपीएस रावत ने कहा कि हमको स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन के सिद्धांतों पर चलना चाहिए।

  1. उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये। 2. ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। यह हम ही हैं जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है और रोते हुए कहा कि अंधेरा है। 3. किसी की निंदा ना करें, अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।
  2. बाहरी प्रकृति केवल आंतरिक प्रकृति बड़ी है। 5. सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है।6. इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है।
  3. जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
  4. जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं उतना ही हमारा हृदय पवित्र हो जाता है और भगवान उसमें बसता है।
  5. यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।

और पढ़ें

error: Content is protected !!