रूड़की – भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रूड़की ने औद्योगिक सुरक्षा के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि हासिल करते हुए “ए नॉवल टेस्ट स्टैंड एंड मेथड टू मेज़र द बर्निंग रेट ऑफ फ्लेमेबल लिक्विड” शीर्षक वाली तकनीक का सफलतापूर्वक स्वान इनवायरमेंटल प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद को हस्तांतरण किया है। यह तकनीक आईआईटी रूड़की के प्रोफेसर के. बी. मिश्रा और श्री अंकित शर्मा द्वारा विकसित की गई है। इसका उद्देश्य ज्वलनशील तरल पदार्थों की बर्निंग रेट यानी जलन दर को वास्तविक परिस्थितियों में सटीकता से मापना है।
आईआईटी रूड़की द्वारा विकसित यह स्वदेशी प्रणाली परीक्षण के दौरान वास्तविक सीमा स्थितियों को बनाए रखती है, जिससे बड़े आकार के भंडारण टैंकों में आग लगने पर होने वाली जलन दर को अधिक सटीकता से मापा जा सकता है। यह तकनीक औद्योगिक सुरक्षा मानकों में सुधार लाने, आग से आवश्यक सुरक्षित दूरी तय करने और लोगों एवं अवसंरचना को संभावित नुकसान से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

आविष्कारक प्रोफेसर के. बी. मिश्रा ने बताया कि इस तकनीक का उद्देश्य ज्वलनशील द्रवों और गैसों के यथार्थ परिस्थितियों में जलन व्यवहार को मापने में लंबे समय से मौजूद तकनीकी कमी को दूर करना है। उन्होंने कहा कि यह टेस्ट स्टैंड उद्योगों और प्राधिकरणों को सुरक्षित संचालन प्रोटोकॉल विकसित करने में सक्षम बनाएगा और फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
स्वान इनवायरमेंटल प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विजय कुमार चलदावड़ा ने कहा कि आईआईटी रूड़की के साथ इस उन्नत परीक्षण तकनीक के लिए साझेदारी करना हमारे लिए गर्व की बात है। यह नवाचार स्वान के मिशन के अनुरूप है, जो अत्याधुनिक पर्यावरणीय और सुरक्षा समाधान प्रदान करने की दिशा में कार्यरत है। यह तकनीक औद्योगिक सुरक्षा और जोखिम मूल्यांकन क्षमताओं को और मजबूत करेगी।
आईआईटी रूड़की के डीन (प्रायोजित अनुसंधान एवं औद्योगिक परामर्श) प्रो. विवेक कुमार मलिक ने कहा कि यह तकनीक हस्तांतरण आईआईटी रूड़की की शैक्षणिक अनुसंधान और औद्योगिक अनुप्रयोग के बीच की खाई को पाटने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि हमारे संस्थान से विकसित नवाचार अब सीधे उद्योग और समाज के उपयोग में आ रहे हैं, जिससे सुरक्षा और सततता को बढ़ावा मिलेगा।
संस्थान के निदेशक प्रो. के. के. पंत ने कहा कि आईआईटी रूड़की सदैव ऐसे तकनीकी नवाचारों के विकास पर केंद्रित रहा है जो वास्तविक औद्योगिक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करें। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सहयोग न केवल ट्रांसलेशनल रिसर्च को बल देते हैं, बल्कि अकादमिक और औद्योगिक साझेदारी को भी नई दिशा प्रदान करते हैं।
यह नई फ्लेम-टेस्ट तकनीक औद्योगिक सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। यह ‘मेक इन इंडिया’ की भावना को भी सशक्त बनाती है और देश को स्वदेशी तकनीकी समाधानों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ाती है।

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