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अफसर टैक्स चुकाओ, धड़ल्ले से जीएसटी चोरी का माल लाओ!

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अफसर टैक्स चुकाओ, धड़ल्ले से जीएसटी चोरी का माल लाओ!

रुद्रपुर। केंद्र सरकार ने देशभर में पारदर्शिता और ईमानदार व्यापार व्यवस्था के लिए भले ही “गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST)” लागू किया हो, लेकिन उत्तराखंड के औद्योगिक ज़िले उधम सिंह नगर में अब एक नया टैक्स चल पड़ा है — “अफसर टैक्स”। यहाँ का मतलब साफ है — जो व्यापारी या ट्रांसपोर्टर अफसर टैक्स चुकाएगा, वह बेखौफ होकर जीएसटी चोरी का माल लाएगा, उतारेगा और फिर अगले दिन नई खेप लेकर निकल जाएगा।

सूत्रों के अनुसार, राज्य कर विभाग के एसआईबी / प्रवर्तन अनुभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी को कुछ दिन पहले वाहन संख्या UP 22 BT 3778 के माध्यम से जीएसटी चोरी का माल लाए जाने की शिकायत दी गई थी। शिकायत विभाग के डिप्टी कमिश्नर स्तर के अधिकारी को व्हाट्सएप व फोन कॉल के माध्यम से दी गई। शिकायतकर्ता ने साफ तौर पर बताया था कि उक्त वाहन रुद्रपुर में कर चोरी का माल उतारने वाला है और तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।

लेकिन विभागीय चौंकन्नापन, जीरो टॉलरेंस और पारदर्शिता की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले अधिकारी ने इस शिकायत पर कोई तत्काल जांच या कार्रवाई नहीं की। सूत्रों के मुताबिक, शिकायतकर्ता को “देख रहे हैं, कर रहे हैं” जैसे सामान्य जवाब देकर मामला टाल दिया गया।

कई घंटे बाद जब शिकायतकर्ता खुद किसी काम से टीपी नगर ट्रांसपोर्ट नगर क्षेत्र पहुंचे तो उन्हें वही वाहन वहां माल उतारते हुए दिखाई दिया। उन्होंने तुरंत इसका वीडियो बनाकर विभागीय अधिकारी को भेजा, मगर हैरानी की बात यह रही कि फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह कोई पहला मामला नहीं है। रुद्रपुर, काशीपुर और बाजपुर के ट्रांसपोर्ट हब्स में प्रतिदिन दर्जनों ऐसे वाहन उतरते हैं जो बिना वैध कर दस्तावेजों के माल लेकर आते हैं। इन पर कार्रवाई की जगह कुछ अधिकारी “मौखिक अनुमति” देकर गाड़ियों को क्लियर कर देते हैं।

फिलहाल इस पूरे मामले से नाराज़ शिकायतकर्ता ने अब राज्य कर विभाग के आला अधिकारियों और मुख्यालय देहरादून में शिकायत दर्ज कराई है। साथ ही उन्होंने बताया कि वह इस पूरे प्रकरण के स्क्रीनशॉट, कॉल रिकॉर्डिंग और वीडियो साक्ष्य मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी अपलोड करेंगे, ताकि “अफसर टैक्स” के इस नेटवर्क का पर्दाफाश हो सके।

विभाग के भीतर साजिश और सौदेबाज़ी का खेल!

सूत्र बताते हैं कि विभाग के भीतर कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जो अपनी कुर्सी और पद बचाने के लिए हर महीने “ऊपर तक” लेनदेन करते हैं। बताया जा रहा है कि ये अधिकारी व्यापारियों का उत्पीड़न करके, उनसे मनमाने पैसे वसूलकर विभाग के शीर्ष पदाधिकारियों की फरमाइशें पूरी करते हैं। कभी किसी की विदेश यात्रा के लिए फंड जुटाना तो कभी किसी अधिकारी की मासिक “जरूरत” पूरी करना — यह अब विभाग की “रूटीन प्रथा” बन चुकी है।

इन खेलों के चलते कई ईमानदार अधिकारी खुद को किनारे होता महसूस कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारी अपने सहयोगियों को भी साजिश का शिकार बना रहे हैं ताकि वे पद पर बने रह सकें और मलाईदार पोस्टिंग का आनंद लेते रहें।

अब सवाल उठता है — क्या मुख्यमंत्री तक पहुंचेगी ये हकीकत?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बार-बार जीरो टॉलरेंस और पारदर्शिता की बात कही है, लेकिन रुद्रपुर जैसे औद्योगिक जिले में चल रही इस “अफसर टैक्स” व्यवस्था ने सरकार के दावों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।

लोगों का कहना है कि जब जीएसटी चोरी के वाहन खुलेआम सड़कों पर घूम रहे हैं और शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है, तो इसका सीधा मतलब यही है कि “सिस्टम के भीतर ही सिस्टम” बन चुका है।

बने रहिए हमारे साथ
हम जल्द ही आपके सामने उस वरिष्ठ अफसर की पूरी कहानी लाने जा रहे हैं, जिसने विभाग की ईमानदार छवि को धूमिल करने का ठेका लिया है। यह वही अफसर है जो अपने पद पर बने रहने के लिए व्यापारियों से वसूली कर “ऊपर” तक पैसा पहुंचाने का ठेका खुद उठा चुका है — अब यह ठेका चाहे विदेश यात्रा की फरमाइश पूरी करने का हो या हर महीने लाखों रुपये की उगाही का।

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