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पहले चरण के हीरो: उत्तराखंड के दुर्गम बूथों पर मतदान दलों के जज़्बे की कहानी….

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उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण के मतदान (24 और 28 जुलाई 2025) की तैयारियाँ पूरा जोर-शोर से चल रही हैं, लेकिन कुमाऊं–गढ़वाल के पहाड़ी क्षेत्रों की भौगोलिक कसौटियाँ प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। मॉनसून की भीषण बारिश, रास्तों में भूस्खलन और नदियों–ढलानों से धंसे पुल चुनाव की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर रहे हैं ऐसे में चुनाव कर्मी चुनावी सामग्री और बैलट बॉक्स को पैदल 7‑16 किमी की दूरी तय करके ले जा रहे हैं

पिथौरागढ़ 16 किमी की पैदल चढ़ाई

  • धारचूला विकासखंड का कनार पोलिंग बूथ प्रशासन के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण रहा है जहाँ मतदान दल को 16 किमी पैदल और पथरीली चढ़ाई से गुजरना पड़ा। डीडीहाट, गराली, मलकुड़ा जैसे केंद्रों तक भी 5–6 किमी का पैदल सफर करना पड़ रहा है

चंपावत 182 बूथ पैदल

  • चंपावत जिले के पाटी और लोहाघाट ब्लॉकों में 160+ बूथों तक दलों को पैदल जाना है। प्रशासन ने सभी दलों को ट्रैकिंग बैकपैक, टॉर्च, प्राथमिक चिकित्सा किट और मैप उपलब्ध कराया है

नामिक, मर्तोली, बुर्फ पहली बार सड़क से

  • पिथौरागढ़ के तीन बेहद दुर्गम केंद्र (नामिक, मर्तोली और बुर्फ) तक अब पहली बार वाहन मार्ग से पहुंच संभव हुआ है। पहले इन्हें क्रमशः 16, 42 और 48 किमी पैदल ही जाना पड़ता था, लेकिन इस बार ये वाहन से कवर किए जा सकेंगे

बागेश्वर 82 सड़कविहीन बूथ

  • बागेश्वर जिले में कपकोट, गरुड़ और बागेश्वर ब्लॉकों के 82 पोलिंग बूथ तक सड़क अभी भी नहीं पहुंची है। मतदान दलों को 5–8 किमी तक पैदल चलना पड़ सकता है

भौतिक चुनौतियाँ और प्रशासनिक रणनीतियाँ

  • भारी बारिश और भूस्खलन की आशंका को देखते हुए राज्य चुनाव आयोग ने मशीनरी, हेलीकॉप्टर और SDRF/पुलिस की तैनाती सहित रैपिड रिस्पॉन्स व्यवस्था की है ।
  • उच्च न्यायालय ने सभी सामाजिक आयोजनों के बीच चुनाव समय पर कराने का निर्देश जारी किया है, और यत्राओं के चलते सुरक्षात्मक भूमिका सुनिश्चित की है

लोकतंत्र की परीक्षा

  • राज्य में 95,909 सरकारी कर्मी और 5,620 वाहन चुनाव में तैनात हैं, जबकि 89 विकास खंडों में 7 लाख मतदाता अपने ग्राम, ब्लॉक और जिला पंचायत प्रतिनिधियों का चुनाव कर रहे हैं
  • “मतदान दलों का यह साहस और निरंतरता दिखाती है कि कितनी मजबूत है हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली चाहे कितनी भी दुर्गम परिस्थिति क्यों न हो।”

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