रुद्रपुर: अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय बंगाली एकता मंच के नेतृत्व में बंगाली समाज के लोगों ने जिला मुख्यालय में एकत्रित होकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजा। यह ज्ञापन एडीएम अशोक कुमार जोशी के माध्यम से प्रेषित किया गया, जिसमें बंगाली समाज के बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों और युवाओं ने सरकार से बंगाली बहुल क्षेत्रों में बांग्ला भाषा को स्कूलों में पढ़ाए जाने की मांग की।
बंगाली समाज के नेताओं का कहना है कि सरकार पिछले कई वर्षों से इस विषय पर केवल घोषणाएं कर रही है, लेकिन इसे आज तक लागू नहीं किया गया। उन्होंने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान नहीं हुआ तो समाज आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा।
सरकार की कथनी और करनी में फर्क: एडवोकेट संजय आइस
अखिल भारतीय बंगाली एकता मंच के सदस्य और एडवोकेट संजय आइस ने कहा कि सरकार ने कई बार बंगाली बहुल क्षेत्रों में बांग्ला भाषा को शिक्षा प्रणाली में शामिल करने की बात कही है, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर है, जिससे बंगाली समाज में असंतोष बढ़ता जा रहा है।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द से जल्द इस मांग को पूरा नहीं किया गया, तो समाज उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा। उन्होंने कहा कि यह केवल भाषा का मुद्दा नहीं, बल्कि बंगाली समाज की संस्कृति और पहचान से जुड़ा मामला है, जिसे लेकर वे कोई समझौता नहीं करेंगे।
विधायक अरविंद पांडे से माफी की मांग
समाजसेवी अभिमन्यु साना ने कहा कि पूर्व शिक्षा मंत्री और विधायक अरविंद पांडे ने कई बार सार्वजनिक मंचों से यह घोषणा की थी कि बंगाली बहुल क्षेत्रों में बांग्ला भाषा को पढ़ाया जाएगा, लेकिन 2017 से अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि यदि विधायक बंगाली समाज के साथ किए गए अपने वादों को पूरा नहीं कर सकते, तो उन्हें समाज से माफी मांगनी चाहिए।
बांग्ला भाषा से वंचित हो रहे युवा
दिनेशपुर से समाजसेवी अमृत विश्वास ने कहा कि सरकार द्वारा कई बार घोषणाएं करने के बावजूद भी बंगाली समाज के युवाओं को अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार नहीं मिल सका है। उन्होंने कहा कि भाषा किसी भी समुदाय की पहचान होती है और यदि किसी समाज को उसकी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं दिया जाता, तो यह उनके सांस्कृतिक अधिकारों का हनन है।
युवा नेता सुब्रत कुमार विश्वास ने दी आंदोलन की चेतावनी
युवा नेता सुब्रत कुमार विश्वास ने कहा कि यदि सरकार ने जल्द से जल्द बंगाली बहुल क्षेत्रों में बांग्ला भाषा लागू नहीं की, तो बंगाली समाज सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगा। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और यदि सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, तो इसके परिणामस्वरूप होने वाले विरोध प्रदर्शन और असंतोष की पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।
ज्ञापन सौंपने में समाज के कई प्रमुख लोग रहे मौजूद
ज्ञापन सौंपने के दौरान समाजसेवी सुब्रत कुमार विश्वास, एडवोकेट संजय आइस, युवा नेता अभिमन्यु साना, समाजसेवी अमृत विश्वास, राकेश हालदार, विनोद विश्वास, सूरज हालदार, विक्की विश्वास, बिट्टू माझी, रवि सरकार समेत कई अन्य प्रमुख लोग उपस्थित थे।
बंगाली समाज की मांग को लेकर बढ़ रही है नाराजगी
बंगाली समाज की यह मांग पिछले कई वर्षों से लंबित है और अब यह नाराजगी का कारण बन रही है। समाज का कहना है कि यदि अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को मान्यता दी जा सकती है, तो बंगाली भाषा को भी बंगाली बहुल क्षेत्रों में शिक्षा का हिस्सा बनाना चाहिए।
अब यह देखना होगा कि सरकार इस मांग पर क्या रुख अपनाती है। यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो बंगाली समाज सड़कों पर उतरकर अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है।

