उत्तराखण्ड कालाढूंगी सियासत

कालाढूंगी : तो क्या बसपा प्रत्याशी बिगाड़ सकते हैं कांग्रेस और भाजपा के समीकरण !

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शेर अफगन , संपादक -7017009483 

कालाढूंगी विधानसभा में इस बार बेहद रोमांचक मुकाबले के आसार बन गए हैं। भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याषी भले ही यह दावा कर रहे हों कि वो जीत रहे हैं लेकिन यहां पर बसपा प्रत्याषी सुन्दर लाल आर्या ने मुकाबले में ट्विस्ट पैदा कर दिया है। जनता के बीच निरंतर जनसम्पर्क में जुटे हुए सुन्दर लाल आर्या ने इन दिनों जो अपनी मजबूत पकड़ वोटरों में बनाई है उसने यह साबित कर दिया है कि उन्हें कम आंकना भाजपा-कांग्रेस की भूल साबित हो सकती है।

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वैसे तो इस विधानसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस, बसपा के अलावा आप और अन्य निर्दलीय भी भाग्य आज़मा रहे हैं लेकिन भाजपा-कांग्रेस के अलावा जिस प्रत्याषी ने वोटरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है वो हैं सुन्दर लाल आर्या। विदित हो कि भौगोलिक दृष्टि से बेहद बड़ी कालाढूंगी विधानसभा में लगभग 1 लाख 71 हजार से अधिक मतदाता हैं। यहां पर जातीय समीकरणों की बात की जाए तो करीब 70 हजार अनुसूचित जाति, 42 हजार क्षत्रीय, 18 हजार ब्राह्यण, 15 हजार सिख, दस हजार ओबीसी, 11 हजार मुस्लिम और पांच हजार अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं। इन समीकरणों के सहारे ही बसपा प्रत्याषी सुन्दर लाल आर्या विधानसभा चुनाव में किस्मत आज़मा रहे हैं। वो दावा करते हैं कि समाज के हर वर्ग में उनकी पकड़ है।

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हिन्दु-मुस्लिम, सिख सभी समुदायों का उन्हें भरपूर प्यार और समर्थन मिल रहा है। बता दें कि कुमाउं मंडल में कालाढूंगी विधानसभा उन सीटों में शुमार है जिसपर राजनीतिज्ञों की निगाहें टिकी हुई हैं। बसपा उम्मीदवार ने जिस प्रकार तेज़ी के साथ विधानसभा चुनाव में धुआंधार प्रचार किया है उसने अन्य दलों के प्रत्याषियों की पेषानी पर भी बल डाल दिया है। अगर यहां पर बसपा प्रत्याषी ने जातीय समीकरणों के हिसाब से वोटों में सेंधमारी कर दी तो नौबत यह आ सकती है कि भाजपा-कांग्रेस दोनों को ही इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। भाजपा-कांग्रेस के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है ऐसे में यहां पर बसपा उम्मीदवार की अधिक सक्रियता और भारी संख्या में उन्हें मिल रहा जनसमर्थन बड़े उलटफेर की स्थिति भी पैदा कर सकता है।

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