देहरादून – आईसीएआर–भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी), देहरादून में 19 नवंबर 2025 को सेलाक़ुई स्थित अनुसंधान फार्म में किसान गोष्ठी एवं पीएम-किसान सम्मान निधि कार्यक्रम का लाइव प्रसारण आयोजित किया गया। कार्यक्रम में देहरादून जनपद के विभिन्न ब्लॉकों से आए 315 किसानों ने भाग लिया और कृषि से जुड़े विषयों पर विशेषज्ञों से संवाद किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कर्नल अजय कोठियाल ने किसानों की अटूट दृढ़ता और समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि जैसे सेना देश की सीमाओं की सुरक्षा करती है, वैसे ही किसान खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर राष्ट्र की आंतरिक शक्ति को मजबूती देते हैं। उन्होंने कहा कि भोजन मानव जीवन का आधार है और किसानों के निरंतर परिश्रम से ही देश आत्मनिर्भर बना रहता है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. निरपेन्द्र के. चौहान, निदेशक, सुगंधित पौधा केंद्र, सेलाक़ुई ने तिमरू और लेमन ग्रास जैसी सुगंधित प्रजातियों की क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ये फसलें स्थानीय उद्यमों, प्रसंस्करण इकाइयों और आजीविका के लिए अत्यधिक उपयोगी हो सकती हैं।
आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी के निदेशक डॉ. एम. मधु ने संस्थान की गतिविधियों एवं योगदान की जानकारी देते हुए किसानों से एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने और मंडुआ जैसे पारंपरिक पौष्टिक अनाजों को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि इससे पोषण संतुलन तथा फसल विविधीकरण को गति मिलेगी।
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के संबोधन का लाइव प्रसारण किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के कोयंबटूर से पीएम-किसान सम्मान निधि की 21वीं किस्त जारी की। इस अवसर पर तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि और केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन सहित अन्य गणमान्य अतिथि भी उपस्थित थे।
विभागीय सत्र में डॉ. आर. के. सिंह, डॉ. चरन सिंह, और डॉ. जे. एम. एस. तोमर सहित अन्य विशेषज्ञों ने किसानों को सरकारी योजनाओं, सिंचाई तकनीकों, सामाजिक विज्ञान, और फसल प्रबंधन से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर मार्गदर्शन दिया।
इसके अतिरिक्त, ڈॉ. एम. मुरुगानंदम ने मत्स्य पालन, नदी-धारा संरक्षण और मछली उत्पादन से जुड़े अवसरों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नदियां एवं धाराएं पोषण सुरक्षा और पारिस्थितिक संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, इसलिए इनके संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भूमिका अहम है।
कार्यक्रम में संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों डॉ. राजेश कौशल, डॉ. विभा सिंघल, डॉ. इंदु रावत, डॉ. रमा पाल और डॉ. अनुपम बर्ह ने बांस की भूमिका, एग्रो-फॉरेस्ट्री मॉडल, मोरिंगा के पोषण लाभ और मशरूम उत्पादन की संभावनाओं पर जानकारी साझा की।
कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. एम. शंकर, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा किया गया। उनके साथ श्री राकेश कुमार, श्री एम. एस. चौहान, श्री सुरेश कुमार, सीटीओ, तथा इंजीनियर प्रकाश कुमार, एसटीओ सहित आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी की पूरी टीम उपस्थित रही।
कार्यक्रम के अंत में किसानों को उन्नत पौध सामग्री वितरित की गई। इसी क्रम में संस्थान के आगरा, बल्लारी, चंडीगढ़, दतिया, कोरापुट, कोटा, वडोदरा (वसाड़) और ऊटी स्थित क्षेत्रीय केंद्रों में भी इसी प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें कुल 845 किसानों को विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई। सभी स्थानों पर किसानों ने इन ज्ञानवर्धक सत्रों की सराहना की।

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