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संवेदनशील पुलिसिंग की नई पहचान — नैनीताल में “संवाद वेलनेस मेला–2025” का शुभारंभ..

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कुमायूँ कमिश्नर दीपक रावत बोले — ‘संवाद पुलिस बल में जागृति और जुड़ाव का सशक्त सेतु बन रहा है’

आईजी कुमायूँ रिद्धिम अग्रवाल की पहल से बढ़ा पुलिस बल का आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच
मा० मुख्यमंत्री धामी के सशक्त उत्तराखण्ड का जीवंत उदाहरण है ‘मिशन संवाद’

नैनीताल। पुलिस लाइन नैनीताल में दो दिवसीय “संवाद वेलनेस मेला–2025” का शुभारंभ कुमायूँ कमिश्नर दीपक रावत एवं पुलिस महानिरीक्षक कुमायूँ रिद्धिम अग्रवाल ने संयुक्त रूप से किया।

मा० मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के सशक्त उत्तराखण्ड के विज़न और आईजी कुमायूँ रिद्धिम अग्रवाल की संवेदनशील पुलिसिंग की सोच का परिणाम है “मिशन संवाद” — जो पुलिस बल के मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक खुशहाली और करियर मार्गदर्शन की दिशा में एक अभिनव और प्रेरणादायक पहल बन चुका है।

शुभारंभ अवसर पर कुमायूँ कमिश्नर दीपक रावत ने कहा कि “संवाद” जैसे कार्यक्रम पुलिस कर्मियों में सकारात्मकता, आत्मविश्वास और संवाद संस्कृति को सशक्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वेलनेस मेला–2025 पुलिस कर्मियों एवं उनके परिवारों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, मानसिक परामर्श, करियर गाइडेंस और सामाजिक कल्याण से जुड़ी सेवाएँ एक ही मंच पर उपलब्ध करा रहा है। यह पहल वास्तव में समग्र कल्याण और मानवीय जुड़ाव का मॉडल प्रस्तुत करती है।

मेले में कुमायूँ परिक्षेत्र के विभिन्न जनपदों से आए पुलिस कर्मियों के बच्चों (कक्षा 9 से 12) और उनके अभिभावकों के लिए दिल्ली से आए विशेषज्ञों द्वारा करियर काउंसलिंग कार्यशालाएँ आयोजित की गईं, जिनमें लगभग 250 छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की।

“मिशन संवाद” का शुभारंभ 5 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में किया गया था। इसी अवसर पर पुलिस कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य हेतु एक मोबाइल एप भी लॉन्च किया गया था, जिसमें अब तक 1000 से अधिक पुलिस कर्मी पंजीकृत हो चुके हैं।

अल्मोड़ा, हल्द्वानी, नैनीताल, रुद्रपुर और खटीमा में आयोजित कार्यशालाओं से अब तक 400 से अधिक पुलिस कर्मी लाभान्वित हुए हैं। इन कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप पुलिस बल में तनाव स्तर में कमी, कार्य उत्साह में वृद्धि और संवेदनशील पुलिसिंग की दिशा में ठोस प्रगति देखने को मिली है।

कुमायूँ कमिश्नर दीपक रावत ने सुझाव दिया कि “संवाद” जैसे वेलनेस और संवाद आधारित कार्यक्रम केवल पुलिस विभाग तक सीमित न रहें, बल्कि अन्य सरकारी विभागों में भी आयोजित किए जाएँ, जिससे शासन-प्रशासन में संवेदनशीलता, आपसी समझ और मानवीय जुड़ाव को और बल मिल सके।

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