काशीपुर (सुनील शर्मा) देशभर में तेजी से फैल रहे कोरोना की दूसरी लहर के बीच काशीपुर में मां बाल सुंदरी देवी का डोला कोरोना गाइड लाइन के बीच देर रात नगर मंदिर से चलकर तड़के ब्रह्म मुहूर्त में चैती मंदिर पहुँचा जहां पुरोहितों के द्वारा पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर माँ की आरती की गई। देर रात्रि चलकर सुबह ब्रहम मुहूर्त में चैती मंदिर पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने दर्शन कर प्रसाद चढ़ाना शुरू कर दिया है। आपको बताते चलें कि देवभूमि उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर में स्थित काशीपुर में लगने वाला ऐतिहासिक चैती मेला बीते वर्ष कोरोना प्रकोप के चलते स्थगित कर दिया गया था। इस वर्ष चैत्र मास के प्रथम नवरात्र से लगने वाले मेले का शुभारंभ शहरी विकास एवं खाद्य मंत्री बंशीधर भगत ने बीती 13 अप्रैल को मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में पूजा अर्चना कर किया था । उसके बाद तेजी से बढ़ रही कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकार की कोरोना गाइडलाइन के तहत जिला प्रशासन द्वारा मेले को तो स्थगित कर दिया गया लेकिन श्रद्धालुओं को मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में प्रसाद चढ़ाने को कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए अनुमति दी। इसी के तहत बीती सप्तमी तिथि और अष्टमी तिथि की रात्रि यानी देर रात्रि को मां बाल सुंदरी देवी का डोला नगर के मोहल्ला पक्का कोट स्थित पंड्डा निवास से चैती परिसर स्थित मां बालसुंदरी देवी मंदिर तड़के पहुँचा। जहां पहुंचने के उपरांत ही श्रद्धालुओ ने कोविड की गाइड लाइन का पालन करते हुए माता के दर्शन कर प्रसाद चढ़ाना शुरू कर दिया है। इसी को लेकर दोपहर से ही मां भगवती बाल सुंदरी देवी को पंडा मनोज अग्निहोत्री के आवास पर सार्वजनिक दर्शनों के लिए फूलों एवं पारंपरिक वस्त्रों में सजा कर रख दिया गया, जहां श्रद्धालुओं ने सोशल डिस्टेन्स और मास्क तथा सेनेटाइजर का प्रयोग करते हुए मां के दर्शन किये। मध्यरात्रि 12:00 बजे से पंडा वंश गोपाल, प्रमुख पंडा कृष्ण गोपाल अग्निहोत्री की देखरेख में विधि विधान एवं हवन पूजन के साथ विगत वर्षों की तरह परंपराओं का निर्वहन करते हुए पुलिस की निगरानी तथा पुलिस के वाहन में मां भगवती का डोला नगर मंदिर से शहर का भ्रमण करते हुए मंगल प्रातः 4 बजे चैती मंदिर प्रांगण पहुंचने के उपरांत आरती की गई । इस मौके पर सहायक पंडा मनोज अग्निहोत्री ने मां के स्वरूप के बारे में बताया कि मां बाल सुंदरी देवी का डोला त्रयोदशी व चतुर्दशी यानी कि 25 और 26 अप्रैल की मध्यरात्रि को वैदिक मंत्रोच्चार के उपरांत वापस नगर मंदिर पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि मां बाल सुंदरी देवी की यह अकेली प्रतिमा है जो कि बाल रूप में है मां के चेहरे के दर्शन करने पर एक अबोध बालिका जैसा भोलापन और तेज विराजमान है साथ ही मां के सिर पर मुकुट है जो कि महालक्ष्मी का प्रतीक है तथा दाएं हाथ में कमल है जो कि मां सरस्वती का प्रतीक है तथा बाएं हाथ में प्याला है जो महाकाली का प्रतीक है। इसलिए मां बाल सुंदरी देवी कि इस प्रतिमा में मां के तीनों रूप विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि देर रात नगर मंदिर में हुए विधि विधान के पूजन के दौरान मां बाल सुंदरी मैया से समस्त विश्व से कोरोना वायरस वैश्विक महामारी को जड़ से खत्म करने की प्रार्थना की गई।

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