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उत्तराखंड सहित पूरे देश मे बढ़ रही धार्मिक नफरत को खत्म करने साथ ही शिक्षा और रोज़गार की मांग के लिए होगा सम्मेलन………..

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रामनगर-“साम्प्रदायिक उन्माद और नफ़रत के खिलाफ, बेहतर शिक्षा और रोजगार के लिए ” नारे के साथ होगा 1 जुलाई को आइसा का राज्य सम्मेलन, श्रीनगर गढ़वाल में होगा…..

• 9-10-11अगस्त को कोलकाता में होगा आइसा का राष्ट्रीय सम्मेलन
• ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) की रामनगर क्षेत्र के पदाधिकारियों की बैठक
• राज्य सम्मेलन से पूर्व आइसा का सघन सदस्यता अभियान चलाया जाएगा।

 

ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) की रामनगर क्षेत्र के पदाधिकारियों की बैठक आइसा नैनीताल जिला अध्यक्ष धीरज कुमार की अध्यक्षता में रामनगर में सम्पन्न हुई। व्यापार मंडल कार्यालय में हुई बैठक में छात्रों के विभिन्न मुद्दों व समस्याओं पर चर्चा की गई व 1 जुलाई को श्रीनगर गढ़वाल में आइसा के होने जा रहे राज्य सम्मेलन और 9-10-11अगस्त को कोलकाता में होने जा रहे आइसा के राष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारियां तेज करने की कार्ययोजना तैयार की गई।

 

बैठक को संबोधित करते हुए आइसा के नैनीताल जिलाध्यक्ष धीरज कुमार ने कहा कि, “हर छात्र छात्रा को देश की परिस्थितियों को समझना आज बहुत जरूरी बन गया है जिस तरह समाज में विभाजन पैदा करके सरकार अपनी मनमानी कर रही है देश और राज्य के युवाओं को हिंदू–मुस्लिम में लड़ा कर शिक्षा, स्वास्थ्य , रोजगार के सवाल गायब किए जा रहे हैं। देश लगातार गरीबी और भूखमरी से जूझ रहा है एक तरफ आर्थिक मंदी का दौर है जिसके लिए सरकार सीधे तौर पर जिम्मेदार है।

 

सरकार की नई शिक्षा नीति ने गरीब छात्र–छात्राओं को सीधे तौर पर शिक्षा से बाहर कर दिया है जिसका ताज़ा उदाहरण हम कुमाऊं यूनिवर्सिटी में हो रही मनमाने तरीके से फीस वृद्धि से लगा सकते हैं यूनिवर्सिटी ने प्रथम सेमेस्टर में B.A ,B.Sc व B.Com के छात्रों में 90–95% छात्रों की बैक लगा दी है और अब इन छात्रों से बैक फीस के नाम पर मोटी रकम वसूली करने का नया तरीका अपना लिया है। गरीब छात्रों के पास कॉलेज आने जाने का किराया तक बहुत मुश्किल से मिल पाता है उसमे भी यूनिवर्सिटी छात्रों को जानबूझकर फेल करके उनसे पैसे कमाने का जरिया बनाना चाहती है।”

 

आइसा के रामनगर अध्यक्ष सुमित ने कहा कि, “सरकार की नीतियां लगातार छात्र विरोधी दिख रही हैं।पाठ्यक्रम में बदलाव के नाम पर लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी पाठों को हटा दिया गया है। मोदी सरकार को कबीर ,सुमित्रानंदन पंत जैसे कवि ,लेखक बर्दास्त नहीं हैं। मोदी सरकार नई शिक्षा नीति के जरिए बड़े पैमाने पर छात्र छात्राओं को शिक्षा से बेदखल करने पर आमादा है। इस शिक्षा नीति की बुनियाद ही असमानता पर आधारित है। इसके साथ ही यह सरकार शिक्षा को विभाजन के औजार के रूप में इस्तेमाल कर रही है जो कि नई पीढ़ी को सामाजिक विषमता की बहुत गलत मानसिकता की ओर धकेलने का काम कर रही है। इसके विरुद्ध छात्र छात्राओं को संगठित किया जायेगा।”

 

बैठक में मौजूद रहे भाकपा–माले के नैनीताल जिला सचिव डा. कैलाश पांडे ने उम्मीद जताई कि आइसा के मज़बूत होने से छात्रों युवाओं की आवाज़ व्यापक रूप से बुलंद होगी। आइसा के जुलाई में होने जा रहे राज्य सम्मेलन पर चर्चा करते हुए आइसा के सघन सदस्यता अभियान चलाने का प्रस्ताव पारित किया गया, हर कॉलेज से बड़ी संख्या में प्रतिनिधि श्रीनगर में होने वाले राज्य सम्मेलन में शामिल होगें, जिसके लिए कुमाऊं विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों में संपर्क किया जायेगा। आइसा का राज्य सम्मेलन विभाजन और नफ़रत के खिलाफ, बेहतर शिक्षा और रोजगार के स्लोगन के साथ किया जायेगा। कुमाऊं यूनिवर्सिटी की मनमानी के खिलाफ भी हर कॉलेज में अभियान चलाया जाएगा।

 

इस दौरान आइसा के नैनीताल जिला अध्यक्ष धीरज कुमार, रामनगर नगर अध्यक्ष सुमित, जिला उपाध्यक्ष नेहा, उप सचिव हेमा जोशी, प्रचार सचिव नीरज सिंह फर्त्याल, इंकलाबी नौजवान सभा की सह संयोजक रेखा आर्य, ज्योति फर्त्याल, प्राची, हिमानी, डा कैलाश पाण्डेय आदि मौजूद रहे।

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