काशीपुर – (सुनील शर्मा) जैसा कि रक्षाबंधन का त्योहार हिन्दू श्रावण मास (जुलाई अगस्त) की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भाई बहनों के अटूट प्रेम का प्रतीक है।
इस दिन बहन अपने भाइयों के कलाई में राखी बांधतीं हैं और उनकी दीर्घ आयु तथा प्रसन्नता के लिए प्रार्थना करतीं हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को हर प्रकार की विपत्ति से रक्षा करने का वचन उपहार के रूप में देते हैं। इन रक्षा सूत्रों में पवित्रता तथा विश्वास की भावना होती है। बताया जाता है कि आज के दिन ब्राह्मण अपने जनेऊ भी बदलते हैं। हिंदू पुराण कथाओं के अनुसार- पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने श्री कृष्ण के हाथ से बहते हुए खून को रोकने के लिए अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ कर बांधा था इस प्रकार उन दोनों के बीच भाई और बहन का बंधन विकसित हुआ था और इसके बदले श्री कृष्ण ने द्रोपदी को सदैव रक्षा करने का वचन भी दिया था। यह त्यौहार जीवन की प्रगति और मैत्री की ओर ले जाने वाला भाई बहन की एकता का एक बड़ा पवित्र कवित्त है।
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