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मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण की तैयारी तेज़ डीएम ने दूर की नागरिकता और दस्तावेज़ों से जुड़ी शंकाएं….

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हल्द्वानी/नैनीताल – जिले में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की तैयारियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। बुधवार को जिला निर्वाचन अधिकारी एवं जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर SIR प्रक्रिया की पूरी रूपरेखा साझा की। इस दौरान डीएम ने नागरिकता, मतदाता सूची और दस्तावेजों की वैधता से जुड़ी सभी शंकाओं और जिज्ञासाओं का विस्तार से समाधान किया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि SIR का उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं, बल्कि हर पात्र नागरिक का नाम मतदाता सूची में सुनिश्चित करना है।

डीएम रयाल ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के तहत यह प्रक्रिया शुरू की है, जिसका उद्देश्य हर पात्र नागरिक को मतदाता सूची में शामिल करना, त्रुटिपूर्ण या दोहराई गई प्रविष्टियों को हटाना और नए पात्र मतदाताओं को सही तरीके से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अंतिम बार व्यापक SIR वर्ष 2003 में किया गया था, और अब लगभग दो दशक बाद यह प्रक्रिया पुनः शुरू की जा रही है।

बैठक में डीएम ने नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा-3 के अनुसार भारतीय नागरिकता के मानकों को स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि पहली श्रेणी में 26 जनवरी 1950 से 30 जून 1987 के बीच भारत में जन्मे व्यक्ति स्वतः भारतीय नागरिक माने जाएंगे। दूसरी श्रेणी में 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 तक जन्मे वे व्यक्ति शामिल हैं, जिनके माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो। तीसरी श्रेणी में 3 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे वे व्यक्ति आते हैं, जिनके दोनों माता-पिता भारतीय नागरिक हों या एक नागरिक हो और दूसरा अवैध प्रवासी न हो। डीएम ने कहा कि इस प्रक्रिया का मकसद किसी की नागरिकता पर सवाल उठाना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि कोई पात्र मतदाता सूची से वंचित न रहे।

डीएम ने निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित मानक दस्तावेजों की सूची भी साझा की, जो नागरिकता और पात्रता प्रमाणित करने के लिए मान्य होंगे। इनमें केंद्र या राज्य सरकार अथवा PSU द्वारा जारी पहचान पत्र, पेंशन भुगतान आदेश (PPO), जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय से जारी शैक्षिक प्रमाण पत्र, स्थायी निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र (SC/ST/OBC), वनाधिकार पट्टा, परिवार रजिस्टर और सरकारी भूमि या मकान आवंटन पत्र शामिल हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है, क्योंकि आधार अधिनियम की धारा-9 के अनुसार यह केवल पहचान का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं।

मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए डीएम रयाल ने राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे प्रत्येक बूथ के लिए बूथ लेवल एजेंट (BLA) नियुक्त करें। उन्होंने बताया कि बीएलए की जिम्मेदारी बूथवार मतदाता सूची की जांच, मृत या स्थानांतरित मतदाताओं की पहचान, फील्ड में SIR प्रक्रिया के दौरान उपस्थिति और विसंगतियों की जानकारी प्रशासन तक पहुँचाना होगी। उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस ने बीएलए-1 की नियुक्ति कर दी है, जबकि भाजपा ने 212 बीएलए-2 की नियुक्ति भी की है। उन्होंने सभी दलों से 20 दिसंबर तक बीएलए-1 और बीएलए-2 की सूची उपलब्ध कराने की अपील की।

डीएम ने बताया कि निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार प्रत्येक मतदान केंद्र के लिए Booth Awareness Group (BAG) भी गठित किया जा रहा है। इस समूह में BLO सुपरवाइजर (अध्यक्ष), BLO, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी, मनरेगा कर्मचारी और सभी राजनीतिक दलों के बीएलए सदस्य होंगे। यह समूह मतदाता सूची के फील्ड सत्यापन और मतदाता जागरूकता की जिम्मेदारी संभालेगा।

बैठक में डीएम ने कहा कि SIR प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, निष्पक्ष और सहभागी होगी। उन्होंने कहा, “SIR का उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं है, बल्कि हर पात्र नागरिक का नाम मतदाता सूची में सुनिश्चित करना है। जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी पात्र नागरिक मताधिकार से वंचित न रह जाए।”

इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी विवेक राय, एसडीएम राहुल शाह, सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी हंसा दत्त पांडे, कांग्रेस से सुहेल अहमद सिद्दीकी, राहुल छिमवाल, गोविंद बिष्ट, भाजपा से प्रकाश पटवाल, रंजन सिंह बर्गली, दिनेश खुल्बे, तथा बसपा से आसिफ हुसैन और कृष्ण चंद्र मौजूद रहे। डीएम रयाल ने बैठक के अंत में कहा कि SIR केवल चुनावी प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने का सबसे बड़ा अभियान है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से इसमें सक्रिय भागीदारी की अपील करते हुए कहा कि यह जनसहभागिता ही है जो निर्वाचन प्रणाली को और अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और विश्वसनीय बनाएगी।

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