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उत्तराखंड मानसून का कहर बरसाती नाले ऊफान पर

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उत्तराखंड में मानसून का कहर : बरसाती नाले ऊफान पर, कई हाईवे बंद, दून में मलबे से पटा मालदेवता मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़, नैनीताल, चंपावत जैसे जिलों में 12 जून को कहीं-कहीं भारी बारिश की संभावना जताई गई है।  बुधवार रात और गुरुवार की सुबह उत्तराखंड में प्री-मानसून ने कहर बरपा दिया है। राज्य के कुमाऊं मंडल में बरसाती नाले ऊफान पर हैं। भूस्खलन की वजह से कई हाईवे बंद हो गए हैं। राजधानी देहरादून में बुधवार देर रात भारी बारिश हुई। जिससे रायपुर के आगे मालदेवता में सड़क पर भारी मलबा आ गया। यहां कई घरों में मलबा घुस गया है। मालदेवता में किसी नुकसान की सूचना नहीं है। फिलहाल गुरुवार को दून में बारिश रुकी हुई है और बादल छाए हुए हैं। इसी तरह कुमाऊं और गढ़वाल के लगभग सभी इलाकों में कहीं बूंदाबांदी हो रही है  हरिद्वार में भी बादल छाए हुए हैं। यहां लोग उमस से परेशान हैं। वहीं, मैदानी इलाकों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं। जबकि, बाकी पर्वतीय क्षेत्रों में काले घने बादल छाए रह सकते हैं। मौसम विज्ञानियों ने 13 जून को भी देहरादून, नैनीताल और चंपावत जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश के साथ ही  चंपावत जिले में बारिश से बोल्डर व मलबा आने से पूर्णागिरी मार्ग बंद हो गया है। हाईवे बंद होने से ककराली गेट बैरियर में वाहन की कतार लग गई है। वहीं टनकपुर  लडिय़ालसेरा में बरसाती नाला ऊफान गए हैं, जिससे खेत और फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। कई घरों में मलबा घुस गया है। स्वालां और भारतोली के पास बारिश से मलबा आने से टनकपुर-पिथौरागढ़ हाईवे सुबह से बंद हो गया है। पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़, नैनीताल, चंपावत जैसे जिलों में 12 जून को बारिश की  है।  वहीं, अल्मोड़ा, ऊधमसिंहनगर, देहरादून और टिहरी  में भारी बारिश की संभावना है।  जून माह वनाग्नि की घटनाओं के लिए बेहद संवेदनशील माना जाता है। लेकिन पिछले दिनों हुई बारिश के बाद काफी हद तक वनों में आग लगने की घटनाओं पर विराम लगा हुआ था। लेकिन एक बार फिर से मौसम में आई गर्मी के बाद वनाग्नि की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। एक जून से 9 जून तक प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊं वन परिक्षेत्र में वनाग्नि की कुल पांच घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं। इनमें एक घटना गढ़वाल परिक्षेत्र में घटित हुई, जिसमें 0.5 हेक्टेयर सिविल वन जला है। वहीं कुमाऊं में घटित वनाग्नि की चार घटनाओं में 2.5 हेक्टयर आरक्षित वन क्षेत्र और 0.75 हेक्टयर सिविल वन क्षेत्र जला है। वनों में आग लगने की घटनाओं के यह आंकड़े मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन की ओर से जारी किए गए हैं|

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