हरिद्वार (वंदना गुप्ता) नवरात्रों में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है शास्त्रों में वर्णन है जो भी अष्टमी और नवमी के दिन कन्याओं का पूजन करता है उसके हर दुखों का निवारण होता है नवरात्रों में मां का विशेष पूजन का महत्व है और इस पूजन के बाद कन्याओं का पूजन किया जाता है पूरे देश में कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ रहा है इसको देखते हुए हरिद्वार में साधु संतों द्वारा 108 कन्याओं का पूजन किया गया और इस महामारी के खत्म होने की मां से प्रार्थना की गई नवरात्रों में अष्टमी और नवमी के दिन देवी के रूप में छोटी कन्याओं का पूजन किया जाता है और इसका काफी महत्व होता है क्योंकि कन्या पूजन करने से सभी कष्टों का निवारण होता है जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर वीरेंद्रनंद का कहना है कि हमारे द्वारा 108 कन्याओं का पूजन करने का संकल्प लिया गया था क्योंकि मां का स्थान पिता से भी बड़ा होता है मां शक्ति का रूप होती है हमारे द्वारा मां का नौ रूपों में पूजन किया जाता है और मां विश्व की शांति के लिए हमेशा अपना आशीर्वाद बनाए रहती है जूना अखाड़ा के महंत सहदेवानंद गिरी का कहना है कि प्राचीन काल में भी जब देवी देवताओं के ऊपर संकट आता था वह भी सबसे पहले शक्ति को ही मनाते थे और शक्ति प्रसन्न होकर उनके सभी दुखों का निवारण करती थी हमारे सनातन परंपरा में अष्टमी और नवमी के दिन मां की विशेष पूजा का विधान है क्योंकि पूरे साल में हम मां की विशेष पूजा नहीं कर सकते मगर अष्टमी और नवमी के दिन हम उपासना साधना और व्रत के साथ कन्या का पूजन करते हैं बाल कन्याओं में मां का वास होता है इसलिए उनको मां के रूप में मानकर उनका पूजन किया जाता है इनका कहना है कि कभी भी इस संसार के ऊपर कोई भी कष्ट आया है तो मां ने ही संसार को बचाया है हमें विश्वास है कि इस कोरोना महामारी से भी मां सभी की रक्षा करेगी और जल्द ही इस महामारी को खत्म करेगी नवरात्रों में बाल कन्याओं का पूजन करने का विशेष महत्व है और इस वक्त कोरोना महामारी का पूरे देश और विश्व में प्रकोप चल रहा है इसी को देखते हुए साधु-सतों ने भी मां की उपासना कर बाल कन्याओं का पूजन किया और मां से प्रार्थना की मां जल्द ही इस कोरोना महामारी को खत्म करे

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