हरिद्वार – उत्तराखंड राज्य आंदोलन के अग्रणी सेनानी और पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट को बुधवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से जिलाधिकारी मयूर दीक्षित और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र सिंह डोभाल ने खड़खड़ी श्मशान घाट पर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान पूरे क्षेत्र में शोक और सम्मान का माहौल रहा।
मुख्यमंत्री धामी ने उनके निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि “दिवाकर भट्ट जी का जीवन उत्तराखंड राज्य आंदोलन, संघर्ष और जनता के हितों के लिए समर्पित रहा है। उनका जाना राज्य के लिए एक अपूरणीय क्षति है।” मुख्यमंत्री ने उनके सम्मान में हरिद्वार जिले के सभी सरकारी कार्यालयों में अवकाश घोषित करने के निर्देश दिए।

भट्ट को गार्ड ऑफ ऑनर एवं अंतिम सलामी दी गई। राजकीय सम्मान के साथ खड़खड़ी श्मशान घाट पर उनका दाह संस्कार किया गया, जहाँ उनके पुत्र ललित भट्ट ने उन्हें मुख्याग्नि दी। अंतिम संस्कार के दौरान पूरा वातावरण “दिवाकर भट्ट अमर रहें” के नारों से गूंज उठा।
राज्य आंदोलन के पुरोधा दिवाकर भट्ट की अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। हरिद्वार के विभिन्न इलाकों, साथ ही अन्य जनपदों से हजारों की संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। राजनीति, समाजसेवा और आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने उन्हें अंतिम नमन किया।
इस अवसर पर अनेक वरिष्ठ नेता और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विधायक मदन कौशिक, आदेश चौहान, रवि बहादुर, मुन्ना सिंह चौहान, मोहम्मद शहजाद, भाजपा जिलाध्यक्ष आशुतोष शर्मा, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, पूर्व मंत्री प्रीतम सिंह पंवार, गणेश गोदियाल, मंत्री पार्षद नैथानी, यूकेडी अध्यक्ष सुरेंद्र कुकरेती, पूर्व अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी, पूर्व दर्जाधारी मंत्री महेंद्र प्रताप, एसपी सिटी अभय प्रताप सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट कुशम चौहान सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग और आम नागरिक उपस्थित रहे।
शोक में डूबे लोगों ने कहा कि दिवाकर भट्ट ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के हर मोर्चे पर अग्रणी भूमिका निभाई। वे न केवल एक सशक्त आंदोलनकारी थे, बल्कि एक सच्चे जनसेवक, निर्भीक वक्ता और जनभावनाओं के प्रहरी भी थे।

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