उत्तराखण्ड रुद्रपुर

कौन कितने पानी में, विधायक ठुकराल का अलग दावा तो भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोरा का कुछ और कथन, विधायक और भाजपा जिलाध्यक्ष आमने-सामने- पढ़े पूरी ख़बर

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रुद्रपुर-(एम सलीम खान) उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते रोक लगा दी है। दरअसल इस मामले को लेकर भाजपा विधायक राजकुमार ठुकराल लंबे समय से पार्टी के शीर्ष नेताओं सहित सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से गुहार लगा रहे थे कि रुद्रपुर में बसे हजारों नजूल भूमि पर लोगों को मालिकाना हक दिया जाए। अब सर्वोच्च न्यायालय ने हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने नजूल नीति को मंजूरी देने से साफ इंकार कर दिया था । वही सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में बनी नजूल नीति को मंजूरी दे दी। जिसके तुरंत बाद रुद्रपुर से भाजपा विधायक राजकुमार ठुकराल का एक बयान सामने आया। जिसमें उन्होंने कहा कि मैंने कभी नजूल भूमि पर बसे लोगों को मालिकाना हक दिलाने में कोई कोताही नहीं बरती। विधायक ठुकराल ने कहा कि मैंने इस मुद्दे को लेकर पार्टी के शीर्ष नेताओं सहित राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को करीब 22 बार इस संबंध में ज्ञापन देकर नजूल भूमि पर बसे लोगों को मालिकाना हक देने का मुद्दा उठाया। जिसके बाद कैबिनेट मंत्री मंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। वही उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नजूल भूमि अधिग्रहण पर रोक लगा दी। जिसके बाद मैंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जहां से आज हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने संबंधी आदेश दिए गए हैं। अब नजूल भूमि पर बसे परिवारों को मालिकाना हक मिलना मुश्किल नहीं है। उन्होंने कहा कि अब मेरे आगमी विधानसभा चुनाव लडने का रास्ता साफ हो गया है। वही भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोरा ने देर शाम एक होटल में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा नजूल भूमि पर बसे हजारों परिवारों को मालिकाना हक दिलाने के दिलाने के प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी कोशिश रंग लाई है। भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोरा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि उत्तराखंड राज्य में हजारों परिवार नजूल भूमि पर बसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह परिवार बरसों से यहां निवासरत है। उन्होंने कहा कि ख़ास तौर पर रूदपुर की विभिन्न बस्तियों में करीब 22,000 से अधिक परिवार यहां नजूल भूमि पर पिछले 30-40 सालों से निवास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन बस्तियों में अधिकांश गरीब तबके के लोगों रहते हैं।अब उन निर्धन परिवारों को मालिकाना हक देने के लिए सरकार द्वारा नजूल नीति लागू की गई थी। लेकिन नजूल नीति के खिलाफ कुछ लोगों द्वारा खास रामबाबू एवं अन्य लोगों उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर के आधार पर नजूल नीति को खारिज करने की मांग कर रहे थे। वही उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए नजूल नीति को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि नजूल नीति बनाने के लिए दिनांक 19-06-2018 को रोक लगा दी गई।जिसकी वजह से हजारों गरीब परिवारों को मालिकाना हक देने का सरकार का प्रयास व्यर्थ हो गया था। वही सरकार ने उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका एस पी एल लगाई । उपरोक्त 19-6-2018 को उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार हजारों परिवार को अतिक्रमण कारी कारी ठहरते हुए उन्हें हटाने के आदेश दिए गए थे। जिसके अनुरूप हजारों परिवार बेघर होने की कगार पर पहुंच गए थे। वही राज्य सरकार के अथक प्रयासों से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 11-2-2019 को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए गए। जिससे हजारों परिवार उजड़ने से बच गए। इसके बावजूद भी मालकिन हक़ पर रोक बरकरार रही। वही राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के गरीबों के हित में इस संबंध में गंभीरता एवं सक्रिय भूमिका निभाई। सीएम धामी के निर्देश पर राज्य सरकार द्वारा तत्काल सुनवाई हेतु सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई। सीएम धामी के विशेष रुचि के कारण उक्त प्रयास से आज दिनांक 3 दिसंबर को उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाने का फैसला किया गया है। वही राज्य सरकार पर नीति लाने अथवा पुरानी निति बहाल करने का विकल्प खुल गया है अरोरा ने कहा कि सीएम धामी के अध्यक्षता में नयी नजूल नीति लाने करने के कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर दिया गया है। आगामी विधानसभा सत्र में नजूल विधेयक लाकर मालिकाना हक देना शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अति निर्धन गरीब लोगों को निशुल्क मालिकाना हक दिया जाएगा। पूर्व पालिसी में जिनके 25/ प्रतिशत जमा हैं उन्हें पुराने रेट पर मालिकाना हक दिया जाएगा। वही जिन कब्जा दारो की मृत्यु हो गई है उनके वारिसों को मालिकाना हक दिया जाएगा।

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