उधमसिंह नगर। जीएसटी विभाग में तैनात एक डिप्टी कमिश्नर के ट्रांसफर ने पूरे विभाग में हलचल मचा दी है। बताया जा रहा है कि “ट्रांसफर ज़ीरो सेशन” में किसी अधिकारी को हटाकर इन्हें दोबारा उधम सिंह नगर जिले में ही अटैच किया गया — जिससे यह संकेत गया कि इनकी पकड़ मुख्यालय के उच्चाधिकारियों तक बेहद मज़बूत है।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि आमतौर पर ज़ीरो सेशन में ट्रांसफर नहीं होते, लेकिन इस बार नियमों को दरकिनार कर विशेष आदेश से यह अटैचमेंट हुआ। इस आदेश के बाद विभाग के अंदर चर्चा है कि “मुख्यालय के भरोसेमंद” अफसर को किसी भी कीमत पर इसी जिले में बनाए रखना था।

सूत्रों के अनुसार, यह अधिकारी पहले काशीपुर में असिस्टेंट डिप्टी कमिश्नर के पद पर कार्यरत थे, जहाँ उनका कार्यक्षेत्र सीमित था। लेकिन अब उन्हें उधम सिंह नगर के डिप्टी कमिश्नर (SIB/प्रवर्तन) के रूप में अटैच किया गया है — जिससे उनका अधिकार क्षेत्र पूरे जिले में फैल गया है। इस बदलाव को लेकर विभागीय हलकों में यह चर्चा तेज़ है कि अफसर की मुख्यालय में पकड़ बेहद मजबूत है, तभी नियमों को दरकिनार कर उनका पद न सिर्फ बरकरार रखा गया बल्कि अधिकार भी बढ़ा दिए गए।
विभाग के कुछ कर्मचारियों का कहना है कि जब नैनीताल जिले में पूरा अमला मौजूद है, फिर भी मुख्यालय द्वारा हल्द्वानी की कार्रवाई के लिए इन्हीं को चुना गया — यह अपने आप में बहुत कुछ कहता है।
विभागीय हलकों में यह भी चर्चा है कि अफसर के पद पर बने रहने के पीछे ऊपरी स्तर पर विशेष दबाव या संरक्षण है। कई कर्मचारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “मुख्यालय से सीधे आदेश” आने की आड़ में अधिकारी हर निर्णय पर अंतिम मोहर लगाते हैं, जिससे विभागीय निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, बीते महीनों में टैक्स चोरी के मामलों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, लेकिन प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही। आरोप है कि अधिकारी ने कुछ कारोबारियों से नज़दीकी बनाकर उन्हें विभागीय छूट दे रखी है।
इन सबके बीच, विभाग और संबंधित अधिकारी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि इस अटैचमेंट आदेश की जांच हो ताकि यह स्पष्ट हो सके कि आखिर किस दबाव या सिफारिश पर नियमों को ताक पर रखकर यह आदेश जारी किया गया।

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