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भाजपा प्रत्याशी शिव अरोरा नोट बांटने के विवाद में घिरे जानिए क्या कहा आम जनता ने

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 उत्तराखंड खबरनामा न्यूज नेटवर्क की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

 रुद्रपुर-(एम सलीम खान) भाजपा प्रत्याशी शिव अरोरा अपने ही जाल में फंसे नजर आ रहे हैं। उत्तराखंड खबरनामा न्यूज नेटवर्क की टीम ने रुद्रपुर की आम जनता से शिव अरोरा के नोट बांटने वाले मुद्दों पर राय जानी तो आम जनता ने अपनी अलग अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की। टीम ने इस मामले में राम मनोहर से पूछा कि भाजपा प्रत्याशी शिव अरोरा अपने चुनावी जनसंपर्क के दौरान मतदाताओं को रिझाने के धनबल का प्रयोग कर रहे हैं

 

तो उन्होंने कहा कि जो प्रत्याशी पैसा देकर वोट मांगे, ऐसा उम्मीदवार जीतने के बाद अपना चुनावी खर्च पूरा करने के लिए विकास कार्यों के लिए आए धन से पूरा करता है। ऐसे लोगों को चुनाव लडने का अधिकार नहीं देना चाहिए। ऐसे लोगों जनहित के विकास कार्यों को खुर्द-बुर्द करते हैं, और विकास कार्यों के लिए आए धन से अपने चुनावी खर्च पूरा करते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता नीमा पंत का कहना है कि निर्वाचन विभाग को ऐसे उम्मीदवारों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए, जो लोग पैसे का लालच देकर वोट मांगते हैं वो जनता के हितकारी नहीं हो सकतें हैं।

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ऐसा लोगों का नामांकन रद्द कर निर्वाचन विभाग को उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। सोनिया खान का कहना है कि भाजपा हमेशा हिंदुत्व पर चुनाव लडती आई है, वही भाजपा प्रत्याशी शिव अरोरा खुलेआम नोट बांटने नजर आ रहे हैं,सवाल यह है कि निर्वाचन आयोग इस मामले का संज्ञान क्यों नहीं ले रहा है। अगर वो पैसा देकर चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं तो निर्वाचन आयोग उनके खिलाफ कार्रवाई करने से क्यों बच रहा।

 

उन्होंने निर्वाचन आयोग की भूमिका पर सवाल खड़े किए।अनुज पाठक का कहना है कि दल कोई भी हो लेकिन धनबल का प्रयोग करने वाले प्रत्याशियों के खिलाफ निर्वाचन आयोग को सख्त कदम उठाने चाहिए।अगर ये ही हाल रहा तो चुनाव के बाद भर्ष्टाचार को और बढ़ावा मिलेगा। वही पंडित गोविंद सिंह का कहना है कि मत हमारा मौलिक अधिकार है,इस तरह पैसे की बंदरबांट करने से कुछ हासिल नहीं होना वाला नहीं है।

 

जनता जनार्दन सब समझती है कि कुछ लोग चंद रुपयों के खातिर ईमान के साथ गद्दारी करने है,ऐसे उम्मीदवारों को टिकट नहीं देना चाहिए। वरिष्ठ समाजसेवी शीला चौधरी का कहना है जो उम्मीदवार लोगों को रुपए बाट रहें हैं, उनसे पूछा जाए कि अगर जनता के प्रतिनिधि चुने गए तो सड़क, पानी, बिजली, रोजगार जैसे जटिल मुद्दों पर वह किस तरह काम करेंगे। पांच साल तक वो अपना चुनावी खर्च पूरा करने में गुजार देंगे, और बाद में जनता खून के आंसू बहाने का काम करेगी।

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उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को देश की राजनीति से बाहर करने की जरूरत है। बिलाल अहमद का कहना है कि अगर इन उम्मीदवारों के इतना ही पैसा है तो उसे यह लोग सड़क बनाने, पानी की व्यवस्था करने पर खर्च करें, जिससे जनता इनके पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित होगी। चुनाव जीतने से पहले इनके विकास कार्यों को जनता अपना विधायक उसे ही चुनेगी। वही 45 वर्षीय कमला पोद्दार ने कहा कि मतदान करने वाले पढ़ें लिखे लोग ऐसे उम्मीदवारों को अपना प्रतिनिधि नहीं चुनेंगे जो पैसे के दम पर वोट खरीदने का काम करते हैं।

 

उन्होंने कहा कि कहा है निर्वाचन आयोग जो दावे करता है कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव करने में सक्षम है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि निर्वाचन आयोग आंखें बंद कर बैठा है। जनता समझदार है इसलिए अपने मत का प्रयोग सही और सटीक छवि वाले उम्मीदवार के लिए करें न कि ऐसे उम्मीदवार के लिए जो धनबल का प्रयोग करें। 22 युवा मतदाता दिवस कुमार ने कहा कि चुनावी माहौल में पैसा जमकर उपयोग होता है, लेकिन हमें अपने मताधिकार का प्रयोग एक ऐसे उम्मीदवार के लिए करना चाहिए जो हमें विकास की धारा से जोड़ने का काम करें। उन्होंने तो यह तक कह डाला कि भाजपा ने हमेशा गरीबों का दमन किया है, इसलिए हमें परिवर्तन लाने की सोच बनानी होगी, ताकि धनबल का प्रयोग करने वाले उम्मीदवारों को करारा जवाब दिया जा सके। साइकिल की दुकान चलाने वाले मिस्त्री सुलभ मंडल का कहना है

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कि अगर चुनाव लड रहे उम्मीदवारों के इतना पैसा है तो उस पैसे को बेरोजगार युवाओं के रोजगार में खर्च करें,वोट भी मिलेगा और जीतेंगे भी,इस तरह पैसा बाट कर वोट खरीदने का काम करने वाले उम्मीदवारों को वोट देने ईमान के साथ गद्दारी होगी। संवाददाता एम् सलीम खान के साथ सह रिपोर्टर अलका जोशी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

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