हल्द्वानी – कुमाऊं प्रीमियर लीग (KPL) को उत्तराखंड के सबसे बड़े फुटबॉल टूर्नामेंट के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन इसकी अव्यवस्थाओं ने खेल प्रेमियों को निराश कर दिया है। पहले 70 मिनट के मैच कराकर फुटबॉल के मूल नियमों की अनदेखी की गई और अब एक और गंभीर चूक सामने आई है—मैदान में स्कोरबोर्ड तक उपलब्ध नहीं! इससे खिलाड़ियों और दर्शकों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बिना स्कोरबोर्ड टूर्नामेंट, कैसे बनेगी रणनीति?
हर पेशेवर टूर्नामेंट में स्कोरबोर्ड एक अनिवार्य सुविधा होती है, जिससे खिलाड़ी और दर्शक मैच की स्थिति को आसानी से समझ सकें। लेकिन कुमाऊं प्रीमियर लीग में यह सबसे बुनियादी सुविधा भी नदारद है। खिलाड़ियों को स्कोर और समय जानने के लिए रेफरी या मैदान के बाहर बैठे लोगों पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जिससे खेल की रणनीति बनाना मुश्किल हो गया है।
खिलाड़ियों और दर्शकों में रोष
कई खिलाड़ियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि टूर्नामेंट की इस तरह की अनदेखी से उनका मनोबल गिर रहा है। उन्हें उम्मीद थी कि KPL एक पेशेवर आयोजन होगा, लेकिन अव्यवस्थाओं ने इसे एक साधारण टूर्नामेंट बना दिया है।
दूसरी ओर, दर्शक भी इस कुप्रबंधन से नाराज हैं। बिना स्कोरबोर्ड के उन्हें बार-बार दूसरों से स्कोर और समय पूछना पड़ रहा है, जिससे उनके देखने का अनुभव प्रभावित हो रहा है।
क्या KPL अपनी साख बचा पाएगा?
“प्रीमियर लीग” नाम देने से कोई टूर्नामेंट उच्च स्तर का नहीं बन जाता, बल्कि आयोजन की गुणवत्ता इसे खास बनाती है। सवाल उठता है कि क्या कुमाऊं प्रीमियर लीग वास्तव में एक प्रतिष्ठित टूर्नामेंट बनने के योग्य है, या फिर यह सिर्फ नाम का “प्रीमियर” है?अब यह आयोजकों पर निर्भर करता है कि वे इस लापरवाही को सुधारते हैं या टूर्नामेंट को यूं ही अव्यवस्थाओं के बीच पूरा होने देते हैं।

