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22 मई को मनाया जाता है विश्व जैव विविधता दिवस……

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नैनीताल- 22 मई को विश्व जैव विविधता  दिवस मनाया जाता है जैव विविधता का अर्थ  समस्त जीवों (पौधों एवं प्राणियों) की प्रजातियों में पाई जाने वाली विविधता है जैव विविधता शब्द का  प्रयोग सबसे पहले आर.ऍफ़.डेस्मैन ने 1968 में किया था | जैव विविधता को तीन प्रकार की है :आनुवंशिक,प्रजातीय एवं पारितंत्रिय जबकि जैव-विविधता के “हॉट-स्पॉट” की संकल्पना को ब्रिटेन के जीव-विज्ञानी नारमैन मेयरस  ने 1988 में प्रस्तुत किया था।

 

सागरीय हॉट-स्पॉट के संबंध में मूँगे की चट्टानों , मछलियों घोंघे आदि  भी  शामिल है।, जैव विविधता के हॉट-स्पॉट ऐसे स्थल हैं जो जैव विविधता की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील हैं 2024 की जैव विविधता दिवस की थीम  बी अ पार्ट ऑफ़ प्लान है जिससे जैव विविधता  के नुकसान को  कुनमिंग मांट्रियल ग्लिबल फ्रेम वर्क के अंतर्गत कम किया जा सके। 196 देशों द्वारा हस्ताक्षरित जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन  1992 में रियो डी जनेरियो में पृथ्वी शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षर के लिए खोली गई

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एक बहुपक्षीय संधि  का नाम यूएनसीबीडी है। यह सतत विकास के संबंध में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम यू एन ई पी के अंतर्गत आता है। जैव विविधता के संरक्षण, इसके घटकों के सतत उपयोग और आनुवंशिक संसाधन शोषण से उत्पन्न लाभों के उचित और न्यायसंगत  बटवारा है यूएनईपी ने कई  महत्वपूर्ण फैसले लिए जिनमें 1987 मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, और 2012 मिनामाता कन्वेंशन, जहरीले पारा को सीमित करने के लिए एक संधि प्रमुख है ।

 

जैव विविधता सभी देशों की 5से 30 प्रतिसत  जीडीपी के साथ 11प्रतिसत इकोनॉमी को निर्धारित करता है ।20प्रतिसत ही अभी तक जैव विविधता की कीमत ज्ञात हुई है ।पूरे विश्व में इंसान प्रतिदिन 40 हजार प्रजातियो का प्रयोग करते है ।विश्व में 436000 पौधे ,भारत में 46610 पौधे प्रजातियां  जभी विश्व में 843000 जंतु तथा भारत में 63820 जंतु प्रजातियां मिलती है । पूरे विश्व में 17 लाख प्रजाति जैव विविधता की अभी तक ज्ञात है । विश्व के 34 हॉट स्पॉट है । पांच वॉल्यूम रेड डाटा बुक के छै चुके है

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भारत की जैव विविधता दुनिया के जैव-समृद्ध राष्ट्रों में भारत का महत्वपूर्ण स्थान है और यहाँ पौधों व प्राणियों की व्यापक विविधता है जिनमें स्थानिक कहते हैं भारत में स्तनपायीयों की 350 प्रजातियाँ हैं जो कि दुनिया भर के देशों में 8वीं सबसे बड़ी संख्या है पक्षियों की 1200 प्रजातियाँ हैं (संसार में 8वाँ स्थान), सरीसृपों की 453 प्रजातियाँ हैं (संसार में 5वाँ स्थान) और पौधों की 46000 प्रजातियाँ हैं । इनमें 1022 प्रजातियों वाले फर्न और 1082 प्रजातियों वाले आर्किड की विशेष रूप से भारी विविधता भी शामिल है।

 

13000 तितलियों और बीटल्स समेत यहाँ कीड़े-मकोड़ों की 50,000 ज्ञात प्रजातियाँ हैं। भारत के 18 % पौधे स्थानिक हैं और दुनिया में कहीं और पाए नहीं जाते।  इनमें से लगभग 33% दुनिया में कहीं और पाए ही नहीं जाते। भारत के जल-थलचारी प्राणियों में 62 % इसी देश में पाए जाते हैं। छिपकलियों की 153 ज्ञात प्रजातियों में 50 % स्थानिक हैं। भारत विश्व के 12 मेगा डायवर्सिटी देश है तथा 13725 पौधो का प्रयोग होता है ।उत्तराखंड में 11,प्रमुख  पर्वत ,8 बड़ी नदिया ,65प्रतिसत वन है

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जिसमें 41 प्रतिसत  जंगल ,13प्रतिसत अल्पाइन मेडो,11 प्रतिसत  बर्फ है ,300 पेड़ो की प्रजाति ,24496 फॉरेस्ट कवर है ।पिथौरागढ़ में सर्वाधिक प्रजाति तथा उत्तराखंड में 12 संरक्षित क्षेत्र है किंतु  ग्लोबल वार्मिंग ,जलवायु परिवर्तन  नए इससे भरी नुकसान पहुंचाया है  जिससे गर्मी ,बरसात  के साथ जैव विविधता प्रभावित हुई है जैव विविधता हमारे जीवन का आधार है।इनका संवर्धन और संरक्षण हमारी जिम्मदारी है।इनके बिना हमारी  श्रृष्टि अपूर्ण है

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