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संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने की की शुरुआत…..

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काशीपुर-(सुनील शर्मा) अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस वर्ष 1975 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मान्यता प्राप्त हुई संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस रूप में मनाने की शुरुआत की 2021 यह विश्व भर में लगभग सभी देशों में मनाया जाने लगा भारत देश में भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस विभिन्न स्थानों पर विभिन्न तरीके से महिला दिवस मनाया जाता है महिला दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के प्रति सम्मान को बराबरी का दर्जा दिलाए जाना है  आपको बता दें कि भारतवर्ष में भारत की संस्कृति मैं नारी को पूजनीय माना जाता है नारी को पूजा जाता है जहां देवता निवास करते हैं

 

हमारे समाज में मिलाएं अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक महिला की एक अहम भूमिका निभाती है नारी के कई रूप है जहां नारी पत्नी बहन बेटी दोस्त एवं मां वन कर सारे रिश्ते निभाती है आज के दौर में महिलाएं भी कदम से कदम मिलाकर पुरुषों के साथ खड़ी है और हर कार्य बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती हैं और आगे निरंतर बढ़ती जा रही है वही प्राचार्य डॉ दीपिका गुड़िया आत्रे कहा कि बहुत अंतर आ चुका है पहले और अब के महिलाओं और युवतियों की स्थिति में अब काफी द्वार खुल गए हैं स्वयं को साबित और प्रमाणित कर अपनी प्रतिभा, हुनर और गुणों को सामने लाकर साबित कर सकती हैं आज के दौर में महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए हौसला ,साहस ओर कुछ कर गुजरने की इच्छा शक्ति की जरूरत है

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और उन्होंने कहा कि आज मुझे खुशी होती है महिलाओं और बेटियों के प्रति समाज की सोच सकारात्मक बदल रही है महिलाएं निरंतर आगे बढ़ रही हैं और यह अच्छा संकेत है उन्होंने कहा कि अभी भी समाज में ऐसे लोग पनप रहे हैं जिनकी सोच अच्छी नहीं है लेकिन जिस तरीके से महिलाओं के हिम्मत और साहस को देश में बढ़ावा मिला है उनको भी अपनी सोच बदल देनी चाहिए और महिलाओं बेटियों को आगे बढ़ा बढ़ने के लिए सहयोग करना चाहिए। मेकअप आर्टिस्ट ने कहा कि कि जिस तरीके से समाज में महिलाएं और पुरुष है सबके एक सपना होता है कि मैं आगे बढ़ो और अपना नाम कमाओ इसी सपने के साथ मेरे भी सपना था कि मैं मेकअप आर्टिस्ट बनूं और मैंने अपने सपने को साकार करते हुए मेरी प्रोफेशनल लाइव बन चुकी है

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अब मुझे जगह-जगह जाकर आपके अपने काम के प्रति लगाओ और जीवन शैली चल रही है लेकिन समाज में कुछ ऐसी सोच भी है कि अगर हम अपने काम के प्रति दिन रात मेहनत कर लगाव रख रहे हैं तो लोगों की सोच यह रहती है कि महिला होकर रात को 8:00 बजे या 10:00 बजे कहां से आ रही है लोगों को अपनी सोच बदल कर महिलाओं को साथ देना चाहिए और उन को आगे बढ़ाने का मौका देना चाहिए उन्होंने कहा कि हम मेकअप आर्टिस्ट रूप में काम करती हूं और मुझे एक शहर से दूसरे शहर में जाकर काम करना पड़ता है जिससे उस भी काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है लेकिन मुझे अच्छा लगता है कि मैं अपने पैरों पर खड़े हो गई हूं और मैं एक सक्षम महिला हूं मुझे खुशी होती है कि जो मैंने सपना देखा था वह साबित कर दिया है।

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