उत्तराखण्ड उधमसिंह नगर किच्छा

उधम सिंह नगर-किसान महापंचायत को लेकर SDM से मिले मजदूर किसान और सामाजिक संगठन….

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उधम सिंह नगर- किसान व मजदूर यूनियनों ,सामाजिक संगठनों का प्रतिनिधि मण्डल SDM (किच्छा) से मिला। और इंटरार्क मजदूरों की समस्याओं को लेकर चर्चा की। चेतावनी दी कि मजदूरों की समस्याओं को लेकर 4 अक्टूबर 2022 को इंटरार्क मजदूरों के किच्छा में चल रहे धरनास्थल में विशाल मजदूर किसान महापंचायत का आयोजन किया जायेगा और निर्णायक संघर्ष शुरू किया जायेगा। ज्ञापन में कहा गया कि इंटरार्क कंपनी मालिक ठेकेदारों के लाइसेंस का दुरुपयोग कर उन्हें मशीनों और मुख्य उत्पादन क्षेत्रों में नियोजित कर जानमाल से खिलवाड़ कर रहा है ।जबकि श्रम विभाग द्वारा ठेकेदारों को लोडिंग और अनलोडिंग के काम कराने को ही लाइसेंस जारी किए हैं ।इंटरार्क कंपनी भारी इंजीनियरिंग उद्योग है।भारतीय कानूनों के अनुसार इस कंपनी में उत्पादन गतिविधियों में ठेका मजदूरों से कार्य कराना प्रतिबंधित है ।किंतु इंटरार्क कंपनी मालिक जिला प्रशासन ,उत्तराखंड सरकार और श्रम विभाग के संरक्षण में कंपनी में अप्रशिक्षित ठेका मजदूरों से खतरनाक मशीनों को चलवा रहा है और मुख्य उत्पादन क्षेत्रों में काम करवा कर मजदूरों के जानमाल से खिलवाड़ कर खूनी खेल खेल रहा है ।

इस लापरवाही के कारण हाल ही में कंपनी के किच्छा प्लांट से माल ले जा रहे एक ड्राइवर की एवं चेन्नई प्लांट में ठेका मजदूर की दर्दनाक मौत हो गई। दर्जनों मजदूरों के अंग भंग होकर वो विकलांग हो गए हैं ।श्रम विभाग ,जिला प्रशासन एवं उत्तराखंड सरकार से अनगिनत बार इसकी शिकायत की जा चुकी है ।हाईकोर्ट उत्तराखंड ने भी इस पर कार्यवाही करने को श्रमायुक्त उत्तराखंड को आदेश दिया। किन्तु कोई कार्यवाही न हुई। बल्कि इंटरार्क कंपनी ने इस ग़ैरकानूनी काम को और अधिक बढ़ा दिया है ।आजकल जबकि कंपनी के परमानेंट मजदूर अपनी प्राण रक्षा को सामुहिक कार्य बहिष्कार पर हैं तो ऐसे में कंपनी मालिक द्वारा दोनों कंपनियों को ठेका मजदूरों से ही चलवाया जा रहा है।

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आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा कंपनी में पुलिस तैनात कर कंपनी मालिक की उक्त गैरकानूनी कृत्य में मदद की जा रही है ।जब आंदोलित मजदूर इस ग़ैरकानूनी काम का विरोध करते हैं तो कंपनी मालिक के शह पर पुलिस आवाज उठा रहे मजदूरों पर ही झूठे मुकदमे लगा देती है ।कहा कि जब एक आम इंसान भूलवश ड्राइविंग लाइसेंस का दुरुपयोग करता है तो उसका चालान काट दिया जाता औऱ भारी जुर्माना और कारावास तक की सजा दी जाती है ।दुरुपयोग जारी रहने पर लाइसेंस तक निरस्त हो जाता और सजा भी बढ़ जाती है ।किंतु इंटरार्क कंपनी मालिक ठेकेदारों के लोडिंग अनलोडिंग के लाइसेंस से ठेका मजदूरों को मशीनों को चलवा रहा है ।लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है ।बल्कि कंपनी मालिक को इस ग़ैरकानूनी काम को करने को पुलिस व पीएसी से प्रोटेक्शन दिया जा रहा है ।ऐसा प्रतीत होता है कि जिला प्रशासन ,सरकार और श्रम विभाग कंपनी मालिक की बंधक बन चुकी है ।जिला प्रशासन ,पुलिस और श्रम विभाग की नजरों में भारतीय संस्थाओं और कानूनों का कोई मोल नहीं है बल्कि इंटरार्क कंपनी मालिक का फरमान ज्यादा महत्वपूर्ण है और ये सभी इंटरार्क कंपनी मालिक को ही अपनी सरकार मानकर उसके हुक्म को ही लागू कर रहे हैं ।जो कि अत्यंत शर्मनाक है ।

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7 सितंबर को पुलिस द्वारा उत्तराखंड उच्च न्यायालय की अवमानना कर कंपनी से मशीनों को शिफ्ट कर दिया गया ।जो कंपनी मालिक की जिला प्रशासन के साथ मजबूत सांठ गांठ को ही प्रदर्शित करता है ।अब तक 96 परमानेंट मजदूरों की गेटबन्दी कर दी गई हैं ।बोनस और LTA भी काट लिया गया। 4 साल से मजदूरों का वेतन न बढ़ाया गया है ।इसके पश्चात भी श्रम विभाग और जिला प्रशासन मौन है ।इससे स्पष्ट है कि ऊधमसिंह नगर जिले में इंटरार्क कंपनी का कंपनी राज चल रहा है ।पूरा अमला कंपनी मालिक के आगे सरेंडर कर चुका है ।

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4 अक्टूबर 2022 को किच्छा में मजदूर किसान महापंचायत का आयोजन हो रहा है ।तांकि जिला प्रशासन ,श्रम विभाग और उत्तराखंड सरकार को इंटरार्क कंपनी के बंधन से किया जाये ।और इंटरार्क मजदूरों को न्याय दिलाने को निर्णायक संघर्ष शुरू किया जाए ।ज्ञापन में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के राष्ट्रीय नेता चौधरी राकेश टिकैत ,जोगिंदर सिंह उगराहां ,दर्शन पाल समेत विभिन्न किसान और मजदूर यूनियनों और सामाजिक प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर थे ।ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधि मंडल में दलजीत सिंह ,बलजिंदर सिंह मान ,सुब्रत कुमार विश्वास ,शिवदेव सिंह ,राकेश कुमार ,सौरभ कुमार ,पान मुहम्मद ,वीरेंद्र कुमार ,लक्ष्मण सिंह समेत कई अन्य लोग शामिल थे ।

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