उत्तराखण्ड ज़रा हटके हल्द्वानी

चार दिन से लगातार आंदोलनरत हैं किसान,अगर नहीं मिली राहत तो बुलाएंगे महापंचायत……..

ख़बर शेयर करें -

हल्द्वानी-विकास प्राधिकरण की ओर से नैनीताल जिले में रेरा के अंतर्गत हल्द्वानी तहसील के 56 और रामनगर तहसील के 25 गांवों को शामिल किया गया है। चार दिन में विभिन्न तरीकों से विरोध जता चुके किसान अब रेरा को हटाने की मांग करते हुए बड़ा आंदोलन करने का मन बना चुके हैं। इसमें किसानों को व्यापार संगठन, आढ़तियों के साथ ही राजनैतिक दलों का भी समर्थन मिल रहा है।

 

इतना ही नहीं, किसान गौलापार में नया शहर बसाने की योजना का भी विरोध कर रहे हैं।प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर छह जून को केंद्र सरकार की ओर से उत्तराखंड के काशीपुर और डोईवाला के निकट दो नए शहर बसाने को स्वीकृति दी गई थी। सरकारी और निजी भूमि पर हल्द्वानी के गौलापार के निकट न्यू हल्द्वानी टि्वन सिटी और रामनगर शहर के पास टूरिज्म टाउनशिप शहर बसाने की भी योजना तैयार की थी।

 

इसमें यह कहा गया था कि शहरों में लगातार जनसंख्या घनत्व बढ़ने के कारण नई टाउनशिप बनाने पर काम किया जा रहा है। किसानों का दावा है कि रेरा के खिलाफ चल रहे उनके आंदोलन को भाजपा, कांग्रेस के अलावा अन्य दलों का भी समर्थन मिल रहा है। मंगलवार को किसानों ने नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य से भी समर्थन मांगा। सूत्रों के मुताबिक आंदोलन को तेज धार देने के लिए हर जगह किसानों से संपर्क करने के साथ ही महापंचायत की भी तैयारी की जा रही है। महापंचायत का स्वरूप क्या होगा यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा लेकिन इन दिनों रेरा को लेकर किसान काफी मुखर हैं।

यह भी पढ़ें 👉  श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना ने किया मातृशक्ति महिला प्रकोष्ठ जिला बिजनौर का गठन

 

चार दिन से लगातार आंदोलनरत हैं किसान……

हल्द्वानी-रेरा की मुखालफत करते हुए किसान चार दिन में विभिन्न तरीकों से विरोध जता चुके हैं। पहले दिन 19 अगस्त को हल्द्वानी और आसपास के लगभग सभी गांवों से पहुंचे किसानों ने रेरा के खिलाफ बरेली रोड मंडी गेट के बाहर हाईवे पर ट्रैक्टर रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन की शुरुआत की थी। हालांकि पुलिस प्रशासन ने ट्रैक्टर रैली निकलने नहीं दी थी, जिसके बाद किसानों ने हाईवे में दिनभर धरना प्रदर्शन किया। शाम को प्राधिकरण सचिव और जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद 20 अगस्त को किसानों के साथ बैठक तय की गई।

 

जिसमें भी किसान प्राधिकरण सचिव के बयानों से नाखुश दिखे और उन्होंने बैठक का बहिष्कार कर दिया था। 21 अगस्त को किसानों ने रजिस्ट्रार कार्यालय के बाहर दिन भर धरना देकर विरोध भी जताया और जमीनों की रजिस्ट्री कराने आ रहे लोगों से रजिस्ट्री नहीं करने की अपील भी की। मंगलवार 22 अगस्त को एक बार फिर किसान एकत्र हुए और रेरा को लेकर विरोध जताया।रेरा के खिलाफ आंदोलित किसानों ने यशपाल आर्य से मांगा समर्थन

यह भी पढ़ें 👉  चाकू से हमला करने वाला अभियुक्त चाकू सहित गिरफ्तार......

हल्द्वानी-युवा किसान संघर्ष समिति ने मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य से मिलकर उन्हें रेरा से किसानों को हो रहे नुकसान के बारे में बताया और रेरा के खिलाफ संघर्ष में समर्थन मांगा। किसानों ने बताया कि रेरा का सबसे बड़ा नुकसान मध्यम वर्ग और छोटे किसानों को है। 5400 वर्ग फीट से अधिक जमीन बेचने पर उन्हें बिल्डर की श्रेणी में रखा जाएगा। किसानों ने नेता प्रतिपक्ष से किसानों का समर्थन करने की अपील की। ज्ञापन देने वालों में किसान नेता बलजीत सिंह, कांग्रेस नेता महेश शर्मा, राज्य आंदोलनकारी ललित जोशी, रामसिंह नगरकोटी, अर्जुन बिष्ट, मनोज खुल्बे आदि शामिल रहे।

 

अगर नहीं मिली राहत तो बुलाएंगे महापंचायत…….

 

हल्द्वानी- युवा किसान संघर्ष समिति के बैनर तले किसानों ने मंगलवार को रेरा के खिलाफ जल्द महापंचायत बुलाने का निर्णय लिया। आरोप लगाया कि प्राधिकरण बार-बार किसानों के श्रम का मजाक बना रहा है।
पत्रकारों से वार्ता करते हुए राज्य आंदोलनकारी ललित जोशी ने कहा कि किसानों को बर्बाद करने के लिए सरकार निजी निवेशकों के लिए दरवाजे खोल रही है।

 

नए शहर बसाने की तैयारी हो रही है। अगर यह सही नहीं है तो 24 घंटे के अंदर सरकार को इसे स्पष्ट करना चाहिए। आज जिन किसानों को जमीन बेचने से रोका जा रहा है कल निजी निवेशकों को यह कैसे बेचेगी। किसानों की जमीनों का अधिग्रहण करने का बड़ा षड़यंत्र हो रहा है। जिन्होंने 2017 से अब तक पांच हजार वर्ग फीट से ज्यादा की रजिस्ट्री कर दी है, उनके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश जिला प्रशासन ने दिए हैं।

यह भी पढ़ें 👉  विधानसभा की विभिन्न समस्याओं के संदर्भ में जिला अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन….

 

ऐसे किसानों की संख्या 10 हजार से अधिक होगी। प्रशासन किसानों को डराना चाहता है।किसान नेता बलजीत सिंह ने कहा कि टि्वन सिटी के नाम पर गौलापार को फंसाया जा रहा है। किसान जान दे देगा लेकिन जमीन का अधिग्रहण नहीं होने देगा। यहां की भौगोलिक स्थिति नाजुक है। जमीनों की चौड़ाई कम है जो किसान 2017 से रजिस्ट्री करते आ रहे हैं, उन्हें रेरा की जानकारी नहीं थी। उन्होंने शपथपत्र दिया और रजिस्ट्री कराते गए। उन्होंने कहा कि किसान सरकार के खिलाफ नहीं जाना चाहते।

 

न राजस्व की हानि चाहते हैं। किसान मंत्री, विधायकों से अपील करते हैं, अन्यथा महापंचायत बुलाने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि किसान जेल जाने की तैयारी कर चुका है। गांव-गांव गली गली किसानों को जगाएंगे। किसान अर्जुन बिष्ट और रामसिंह नगरकोटी ने कहा कि नए सरकारी डीलरों को बुलाकर नया शहर बसाने की तैयारी की जा रही है जिसका किसान विरोध करते हैं। किसान रेरा को बर्दाश्त नहीं करेगा। इस दौरान आलू फल आढ़ती एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जीवन कार्की समेत अन्य संगठनों से पहुंचे लोगों ने भी समर्थन देने की बात कही।

Leave a Reply