कुमाऊं विश्वविद्यालय के इनोवेशन एवं इनक्यूबेशन सेल द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में निदेशक, विजिटिंग प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी ने “बौद्धिक संपदा अधिकार” विषय पर ऑनलाइन माध्यम से व्याख्यान दिया। कार्यक्रम की शुरुआत में आईआईसी सेल के निदेशक प्रो. आशीष तिवारी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया, जबकि संचालन डॉ. निधि वर्मा ने किया।
अपने व्याख्यान में प्रो. ललित तिवारी ने बताया कि मानव मस्तिष्क की रचनात्मकता और नवाचार ही बौद्धिक संपदा का मूल स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) व्यक्ति को उसके नवाचारों का कानूनी संरक्षण प्रदान करता है, जिससे वह आर्थिक रूप से भी लाभान्वित हो सकता है।
उन्होंने जानकारी दी कि वर्ष 2025 की थीम “आईपी एवं म्यूजिक: फील द बीट ऑफ म्यूजिक” रखी गई है और हर साल 24 अप्रैल को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस मनाया जाता है। उन्होंने विभिन्न बौद्धिक संपदा अधिकारों के कानूनी पहलुओं पर भी प्रकाश डाला, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- कॉपीराइट (अवधि: अधिकतम)
- पेटेंट (अवधि: 20 वर्ष)
- जीआई, ट्रेडमार्क, इंडस्ट्रियल डिजाइन, लेआउट डिजाइन (अवधि: 10 वर्ष)
प्रो. तिवारी ने यह भी बताया कि बौद्धिक संपदा के संरक्षण के लिए विभिन्न कानून लागू किए गए हैं, जिनमें पेटेंट एक्ट 1970 (संशोधित 2005), डिजाइन एक्ट 2000, ट्रेडमार्क एक्ट 1999, कॉपीराइट संशोधित अधिनियम 1999, बायोलॉजिकल डायवर्सिटी एक्ट 2002, और प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैरायटी एंड फार्मर्स राइट एक्ट 2001 प्रमुख हैं।
इस व्याख्यान में डॉ. बी.एस. कालाकोटी, प्रो. गीता तिवारी, डॉ. पैनी जोशी, डॉ. नंदन मेहरा, डॉ. लज्जा भट्ट, डॉ. नवीन पांडे, डॉ. हर्ष चौहान, डॉ. अंजली कोरंगा, डॉ. श्रीकर पंत, डॉ. दिनेश गिरी, डॉ. संतोष उपाध्याय, डॉ. श्रीति सहित अनेक विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के समापन पर वक्ताओं ने बौद्धिक संपदा अधिकारों की जागरूकता बढ़ाने एवं नवाचार को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।

