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शिक्षा में सुधार, आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता के लिए साझेदारी की आवश्यकता….

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::राष्ट्रीय सम्मेलन::

– उत्तराखंड की रजत जयंती और विकसित भारत 2047 पर राष्ट्रीय सम्मेलन

– कुमाऊं विवि के वाणिज्य विभाग ने आयोजित किया कार्यक्रम

नैनीताल- कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर स्थित वाणिज्य विभाग की ओर से शुक्रवार को उत्तराखंड की रजत जयंती और विकसित भारत 2047 विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में राज्य के विकास, सामाजिक बदलाव और भविष्य की संभावनाओं पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श हुआ। कार्यक्रम में राज्य के अनेक प्रतिष्ठित व्यक्ति और विशेषज्ञ शामिल हुए, जिन्होंने अपने विचार साझा किए। यहां आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत में वाणिज्य विभाग के संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो. अतुल जोशी ने सम्मेलन का महत्व और उद्देश्य बताया। उन्होंने कहा कि आज हम एक ऐसे समय में हैं जब शिक्षा में सुधार, आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता के लिए साझेदारी का निर्माण आवश्यक है। केवल सामूहिक प्रयासों से ही हम उत्तराखंड को एक मजबूत और समृद्ध राज्य बना सकते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने। कार्यक्रम में पूर्व निदेशक, उच्च शिक्षा उत्तराखंड डॉ. सीडी सूंठा ने कहा कि उत्तराखंड का शिक्षा क्षेत्र इस विकास यात्रा का अहम हिस्सा रहा है।

 

इसमें सुधार और नवाचार के लिए लगातार प्रयास किए गए हैं। इस सम्मेलन में हम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि शिक्षा में सुधार, आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता के लिए साझेदारी की आवश्यकता है। पूर्व विधायक, नैनीताल डॉ. नारायण सिंह जंतवाल ने कहा कि उत्तराखंड की यात्रा केवल राजनैतिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव का भी बड़ा हिस्सा है। इस सम्मेलन से हमें राज्य के विकास के नए रास्ते और रणनीतियों पर विचार करने का अवसर मिला है, जो आने वाले समय में विकास की गति को और बढ़ाएगा। प्रबंध अध्ययन विभाग, भीमताल  के प्रो. अमित जोशी ने कहा कि इस सम्मेलन में उत्तराखंड के विकास के लिए नए दृष्टिकोण और समृद्धि के उपायों पर गहन चर्चा हुई है। आने वाले वर्षों में राज्य के समग्र विकास के लिए हमें वैश्विक दृष्टिकोण और स्थिर रणनीतियों की आवश्यकता होगी।

पूर्व एजीएम, जिला उद्योग केंद्र

योगेश चंद्र पांडे ने कहा कि उत्तराखंड में औद्योगिकीकरण और रोजगार सृजन के लिए कई योजनाएं बनाई जा रही हैं। इस सम्मेलन में इस बात पर चर्चा की गई कि किस प्रकार से राज्य में निवेश को बढ़ावा दिया जा सकता है और स्थानीय उद्योगों को मजबूती दी जा सकती है, ताकि राज्य की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिले। मानव संसाधन विभाग, अशोक लीलैंड प्रालि, रुद्रपुर के डॉ. भुवन चंद्र जोशी ने कहा कि मानव संसाधन और कौशल विकास के क्षेत्र में उत्तराखंड ने कई अहम कदम उठाए हैं। हमें अपने युवाओं को बेहतर प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर प्रदान करने होंगे, ताकि वे राज्य और देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकें। संस्थापक, माउंटेन विलेज फाउंडेशन कीवा सिंह ने कहा कि पर्यटन और पारिस्थितिकी के क्षेत्र में उत्तराखंड की अनमोल धरोहर को संरक्षित करना बहुत महत्वपूर्ण है।

 

इस सम्मेलन ने हमें पर्यावरणीय स्थिरता और सामुदायिक विकास के तरीकों पर नए दृष्टिकोण दिए हैं, जिन्हें राज्य के विकास में शामिल किया जा सकता है। विभाग की प्राध्यापिका डॉ. आरती पंत ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अंकिता आर्या ने किया। इस मौके पर प्रो. ललित तिवारी, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. विजय कुमार, डॉ. ममता जोशी, डॉ. निधि वर्मा, डॉ. जीवन उपाध्याय, डॉ. विनोद जोशी, डॉ. तेज प्रकाश, डॉ. पूजा जोशी पालीवाल, डॉ. अंकिता आर्या, डॉ. गौतम रावत, पंकज भट्ट, सूबिया नाज, दीक्षा, चंदन जलाल, घनश्याम पालीवाल, बिशन कुमार आदि रहे।

कार्यक्रम का उद्देश्य अहम

कुमाऊं विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन का विषय था “उत्तराखंड की रजत जयंती और विकसित भारत 2047।” इस सम्मेलन का उद्देश्य राज्य के विकास, शिक्षा में सुधार, आर्थिक प्रगति और सामाजिक स्थिरता के लिए साझेदारी को बढ़ावा देना था। इसमें उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रीय विशेषज्ञों, नेताओं और शैक्षिक व्यक्तित्वों ने भाग लिया। उन्होंने राज्य के विकास की संभावनाओं, समाज में बदलाव और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत किए।

शिक्षा, विकास और साझेदारी की आवश्यकता

कार्यक्रम में यह स्पष्ट किया गया कि उत्तराखंड का विकास केवल राजनैतिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक बदलावों से भी जुड़ा है। शिक्षा, औद्योगिकीकरण, मानव संसाधन, पर्यावरणीय स्थिरता और कौशल विकास जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। सभी वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा, विकास और सामाजिक स्थिरता के लिए एकजुट प्रयास और साझेदारी जरूरी है। यह सम्मेलन राज्य के भविष्य के विकास की दिशा तय करने के लिए एक अहम कदम साबित हुआ है।

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