उत्तराखण्ड हल्द्वानी

में भी भारत की बेटी हूँ, मुझे भी पूरा अधिकार चाहिए…..

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  कविता की कलम से

भारत हमारा प्यारा भारत कहने को तो आज आज़ाद है, परन्तु क्या देश में रहने वाली भारत की नारी आज पूरी तहर आज़ाद है ? नहीं नारी आज़ाद नहीं है, देश में महिलाओं के प्रति एक अलग मानसिकता आज भी पनप रही है, महिलाओं के साथ भेद भाव की कहानी घर से ही शुरू हो जाती है, जब घर में एक बेटी जन्म लेती है तो घर में खुशियों का माहोल कम और उदासी ज्यादा छा जाती है ‘’काश लड़का’’ होता तो कुल आगे बढ़ता,तब शुरू होती है भेदभाव की असली कहानी जिस माँ ने बेटी को जन्म दिया वो उसके दर्द को समझती है, पर बोल कुछ नहीं पाती और चुपचाप इस भेदभाव को देख कर खामोश रहती है,जेसे जेसे बेटी बड़ी होती हे वेसे वेसे ही भेदभाव बढ़ता जाता है बेटी को बेटों के मुकाबिले हमेशा अलग थलग रखा जाता है थोड़ी बड़ी होती है तो लड़की को अब बहार गंदे और भद्दे ताने सुन्ने पड़ते है लाचार लड़की ख़ामोशी से सब सुनकर चुप हो जाती है।

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और आगे बढ़ जाती है ताकि उसकी पढाई जारी रह सके, वही लड़कियो को ज्यादा देर तक घर से बहार नहीं रहने दिया जाता जबकि लड़को के लिये ऐसा कोई नियम नहीं है, एक हि घर के सदस्य होने के बावजूद लड़को को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाया जाता है और लड़कियोँ को सरकारी स्कूल में, तो क्या लड़कियों को भी लड़को कि भांति समान अवसर नहीं मिलने चाहिऐ ? ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और लड़को कि तरह अपने सपनो को उड़ान दे सके, बेटी के थोडा बड़ा होते ही माता पिता उसके हाथ पीले करने बारे में सोचते है जिसके लिए अच्छा खासा दहेज़ भी देते है बावजूद इसके ससुराल वाले दहेज़ के लिए लड़की को ही बार-बार तंग करते है।

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आखिर कब तक मरती रहेगी बेटी-

दहेज़ प्रथा महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों का एक प्रमुख कारण है, दहेज़ प्रथा के कारण लड़कीयों को मानसिक दिक्क़तो का सामना करना पड़ता है कई बार महिलाओं को दहेज़ के कारण जान भी गवानी पड़ती है, और महिलाओं को शाररिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया जाता है, महिलाओ के प्रति बढ़ते क्राइम के कारण दहेज़ अधिनियम 1961 के तहत भारत मैं दहेज लेना और देना क्रिमनल ऑफनस के अंदर आता है बावजूद इसके दहेज़ को गिफ्ट का नाम दे कर दहेज़ का चलन आज भी जारी है  जिसके कारण आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हें, दहेज़ ना देने पर बेटियां, ससुराल द्वारा मानसिक तनाव में आ जाती हें जिसके कारण हत्या और आत्महत्या जैसी घटनाये सामने आती हैं । लेख अभी जारी हैदूसरी कड़ी की प्रतीक्षा करें……….. कविता की कलम से

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