उत्तराखण्ड ज़रा हटके नैनीताल

गंगा दशहरा प्रकृति के प्रति मानवीय प्रेम तथा उसके संरक्षण के प्रति उसका समर्पण, गंगा जल मानव के पापों को करता है नष्ट….

ख़बर शेयर करें -

ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को  मनाया जाता है,गंगा नदी का अवतरण दिवस…

नैनीताल-भारतीय संस्कृति का निर्माण करने वाली गंगा नदी का अवतरण दिवस ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को  मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी दिन भागीरथ की तपस्या सफल हुई और मां गंगा शिव की जटाओं में से होकर जमीन पर उतरी तो यह दिवस गंगा दशहरा कहलाया। गंगा दशहरा प्रकृति के प्रति मानवीय प्रेम तथा उसके संरक्षण के प्रति उसका समर्पण है। गंगा जल मानव के पापों को नष्ट करता  है। इस दिवस  को संवत्सर का मुख कहा गया है। इसलिए इस दिन दान और स्नान का  अत्यधिक महत्व है। वराह पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी, हस्त नक्षत्र में गंगा स्वर्ग से धरती पर आई थी।

यह भी पढ़ें 👉  कावड़ यात्रा के दृष्टिगत पुलिस प्रशासन द्वारा किया गया बॉर्डर गोष्ठी का आयोजन......

 

२०२२ में  12 जून को गंगा दशहरा निर्धारित है गंगा भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के लिए देवलोक का अमृत  हैं। मां गंगा हम भारतीयों को राष्ट्रीय एकता के सूत्र में पिरोती हैं। इसके जल में स्नान पवित्र माना गया है इस पवित्र नदी को स्वच्छ बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सब की भी है। किसी भी प्रकार से इसे दूषित न करने का संकल्प लेना होगा ताकि नदी की स्वच्छ बनी रहे गंगा दशहरा तन के साथ-साथ मन की शुद्धि का पर्व भी है, । इसमें स्नान, दान, व्रत तथा पूजन होता है। स्कंद पुराण में लिखा हुआ है कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी संवत्सरमुखी है। इसमें किसी भी नदी पर जाकर अर्घ्य (पूजादिक) एवं तिलोदक (तीर्थ प्राप्ति निमित्तक तर्पण) अवश्य करे भविष्य पुराण में लिखा हुआ है कि जो मनुष्य गंगा दशहरा के दिन गंगा के पानी में खड़ा होकर दस बार स्त्रोत्र पाठ समृद्धि देता है गंगा  भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है।

यह भी पढ़ें 👉  श्री देव सुमन की पुण्यतिथि पर रीजनल पार्टी ने की विचार गोष्ठी……

 

यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर 2525 किलोमीटर  की दूरी तय करती हुई उत्तराखंड में  हिमालय  गंगोत्री से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है।प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है।  गंगा सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। । सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान करोड़ों लोगो को भोजन एवं ऊर्जा देने का काम करती है ।

 

100 फीट (31 मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी  भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौंदर्य और महत्त्व के कारण बार-बार पूजी जाती है गंगा अपनी उपत्यकाओं (घाटियों) में भारत और बांग्लादेश के कृषि क्षेत्र में भारी सहयोग तो करती ही है, बल्कि बहुत बड़े क्षेत्र के लिए सिंचाई का स्रोत भी हैं। इन क्षेत्रों में उगायी जाने वाली मुख्य उपज में  धान, गन्ना, दाल, तिलहन, आलू एवम् गेहूँ हैं। गंगा के तटीय क्षेत्रों में दलदल तथा झीलों के कारण यहाँ लेग्यूम, मिर्च, सरसो, तिल, गन्ना और जूट की बहुतायत फसल होती है। नदी में मत्स्य उद्योग भी बहुत जोरों पर चलता है। गंगा नदी प्रणाली भारत की सबसे बड़ी नदी प्रणाली है; इसमें लगभग ३७५ मत्स्य प्रजातियाँ उपलब्ध हैं। फरक्का बांध सहित पर्यटन पर आधारित आय भी इससे मिलती है

Leave a Reply