पौड़ी- पौड़ी गढ़वाल के रिखणीखाल प्रखंड के राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारी सन 1980 से ग्राम पंचायत द्वारी के पंचायत भवन पर चल रहा है,और ग्राम पंचायत की मासिक बैठकें खुले आसमान के नीचे हो रही हैं। सन 1980 के दशक में इस क्षेत्र के लिए एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्वीकृत हुआ था,उस दौरान तुरन्त कोई जगह उपलब्ध न होने पर इस स्वास्थ्य केंद्र को चलाने के लिए पंचायत भवन देना पड़ा। इस क्षेत्र में इस स्वास्थ्य केन्द्र के अन्तर्गत लगभग नजदीकी 5-6 ग्राम पंचायतों के 25-30 गाँव निर्भर हैं।
लेकिन इतने साल बीतने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग भवन नहीं बना सका।ये बड़े खेद का विषय व निराशाजनक स्थिति है।यहाँ पर वर्तमान में एक अनुभवी एम बी बी एस डॉक्टर रितेश नियुक्त हैं। उनके पास कोई भी अन्य कर्मचारी तैनात नहीं है।वे भी इस जगह पर मुश्किलों भरी परेशानियों से जूझ रहे हैं। जैसे टपकता भवन का छत,पेयजल की समस्या, आवास की समस्या, दवाइयों का अभाव आदि। क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों ने स्वास्थ्य केंद्र के भवन के लिए मांग रखी लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया या भवन निर्माण करना उचित नहीं समझा।कुछ अन्य भवन जो भी बने हैं, वे खंडहर व जर्जर हो गये हैं।
उनकी भी कोई सुध नहीं लेता। विगत वर्ष इसी क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता प्रभुपाल सिंह रावत ने मुख्य मंत्री उत्तराखण्ड हेल्पलाइन नंबर 1905 पर इस स्वास्थ्य केंद्र के भवन निर्माण के लिए शिकायत दर्ज करायी थी कि राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारी के लिए भवन निर्माण की नितान्त आवश्यकता है।शिकायत का पंजीकरण संख्या 448104 दिनांक 26/09/2023 था।लेकिन कोई समाधान न होने पर शिक़ायत को अपनी मर्जी से बन्द कर दिया।एक साल गुजरने वाला है,न भवन बना ,समस्या का समाधान हुआ।
हां वाह-वाही खूब सुनी है कि ये हेल्पलाइन बहुत अच्छी है। आज जिस पंचायत भवन पर स्वास्थ्य केंद्र चल रहा है,इस भवन की हालत जर्जर व चिन्ताजनक है।बारिश का पानी कमरों के अन्दर घुस रहा है।छत का प्लास्टर दिन प्रतिदिन उखडकर गिरता जा रहा है।छत बुरी तरह टपक रहा है।डॉक्टर व आगन्तुक मरीज जैसे तैसे समय बिता रहे हैं। भवन की हालत देखकर मरीज भी घबराहट व चकरा जाते हैं। स्वास्थ्य सेवा लाना तो दूर की बात है।कभी भी कोई अनहोनी दुर्घटना हो सकती है।फिर मत कहना,हमें नहीं बताया।अब गाँववालों को भी अपने पंचायत भवन की जरूरत है,लेकिन समस्या ये खड़ी है
कि स्वास्थ्य केंद्र कहाँ सिफ्ट कराएं। इस बारे मेें वन पंचायत सरपंच विनोद मैंदोला कयी बार शिकायत की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कौन सुनें। वहां पर नियुक्त डाक्टर भी असमंजस स्थिति में हैं कि कैसे उनका शेष कार्यकाल व्यतीत हो।भवन की हालत देखकर मरीज भी नजदीक फटकने को नहीं आते।कहा व सुना जाता है कि जिस स्वास्थ्य केंद्र का अपना ही भवन न हो,वह क्या स्वास्थ्य लाभ व सेवा देगा।ये लोगों की धारणा बनी है। अब जिला प्रशासन व उसका स्वास्थ्य विभाग इस खबर का संज्ञान लेगा कि नहीं?या सी एम हेल्पलाइन की तरह टरका देगा,ये देखने वाली बात होगी।
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