नई दिल्ली-प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिक और तकनीकी जुड़ाव को समाज के विभिन्न स्तरों पर विशिष्ट रूप से दिखाने के उद्देश्य से सीएसआईआर द्वारा राष्ट्रीय महत्व की प्रयोगशालाओं में कार्यक्रम आयोजन कर उसमें जनसाधारण को जोड़ा जा रहा है जिसके माध्यम से विज्ञान जन जागरूकता के साथ ही लोग इन प्रयोगशालाओं की अहमियत भी समझ रहे है।
6 जनवरी 2023 से शुरू हुए इस राष्ट्रव्यापी विज्ञान जागरूकता अभियान – वन वीक वन लैब का समापन सीएसआईआर के स्थापना दिवस यानि 26 सितंबर को एक महोत्सव में होगा। आइए जानते है कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जो वन वीक वन लैब अभियान से संबंधित है और परीक्षा में पूछे जा सकते है:
वन वीक, वन लैब देशव्यापी अभियान की शुरुआत 06 जनवरी 2023 को हुई।
अभियान के अंतर्गत देशभर में फैली सीएसआईआर की 37 प्रमुख प्रयोगशालाओं/संस्थानों में सप्ताह भर चलने वाले अनवरत कार्यक्रम आयोजित हो रहे है।
NIScPR में वन वीक वन लैब कार्यक्रम 11 सितंबर 2023 को शुरू हुआ है।
वन वीक वन लैब अभियान वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) संस्थान से संबंधित है जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपाध्यक्ष केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह है।
वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) का एक सप्ताह एक प्रयोगशाला अभियान, प्रौद्योगिकी, नवाचार और स्टार्ट-अप में भारत की वैश्विक उत्कृष्टता को उजागर कर रहा है। इस अभियान में, राष्ट्रव्यापी फैली सीएसआईआर की 37 घटक प्रयोगशालाओं में से प्रत्येक लगातार हर सप्ताह अपनी विरासत, विशिष्ट नवाचारों और तकनीकी सफलताओं का प्रदर्शन कर रहा है।
अभियान के दौरान प्रत्येक सीएसआईआर प्रयोगशाला सप्ताह भर चलने वाले कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है जिसमें उद्योग और स्टार्ट-अप मीट, छात्र कनेक्ट, सोसाइटी कनेक्ट, प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन आदि शामिल हो रहे है। नई दिल्ली में सीएसआईआर की राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में आयोजित कार्यक्रम में प्रख्यात सामाजिक उद्यमी शिक्षा रत्न अमन कुमार भी शामिल होंगे जिसका आयोजन राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान कर रहा है।
यह अभियान शिक्षा और कौशल विकास पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है, जहां विभिन्न क्षेत्रों के इच्छुक छात्र सीएसआईआर प्रयोगशालाओं की अनुसंधान गतिविधियों और सुविधाओं के बारे में जान रहे है और संभावनाओं से जुड़ रहे है।
उद्योग और एमएसएमई बैठकों का लक्ष्य समाज की आवश्यकता या क्षेत्रीय जरूरतों के आधार पर विज्ञान और उद्योग के बीच समझ स्थापित करना और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों और उत्पादों के सह-विकास के लिए संभावित उद्योगों की पहचान करना है। यह प्रौद्योगिकियों की तीव्र आपूर्ति और तैनाती के लिए सरकारी-अकादमिक-उद्योग का नेटवर्क बनाने का एक अवसर है।
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