हल्द्वानी। (शेर अफगन) भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ने इस बार मेयर प्रत्याशी के रूप में एमबी कालेज हल्द्वानी के दो छात्र नेताओं पर दांव लगाया है। दोनों एमबीपीजी कालेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ चुके हैं और पहली बार सक्रिय राजनीति में उतर कर मेयर का चुनाव लड़ रहे हैं।
नामांकन से लेकर दोनों प्रत्याशी अभी तक एक जैसा ही तरीका अमल में ला रहे हैं। मसलन नामांकन के बाद बड़े नेताओं से मुलाकात और प्रचार की रणनीति भी एक जैसी ही दिख रही है, हालाकि चुनाव पास आते ही इसमें तब्दीली आने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
विदित हो कि हल्द्वानी नगर निगम के तीसरे चुनाव में दोनों राश्ट्रीय दलों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने एमबीपीजी कालेज से राजनीति का पाठ पड़ने वाले छात्र नेताओं को अपना चेहरा घोंशित किया है। जानकारों के अनुसार दोनों नेताओं ने अपना सियासी जीवन साथ-साथ ही शुरू किया था और यह भी एक संयोग ही मानकर चलिये कि दोनों महारथियों का मेयर के चुनाव में आमना-सामना भी हो रहा है। भाजपा प्रत्याशी गजराज बिश्ट ने जहां अखिल भारतीय विद्यार्थी परिशद में रहकर अपनी पारी को धार दी वहीं ललित जोशी भी कांग्रेस से जुडे भारतीय राश्ट्रीय छात्र संघ से अपनी सियासी पारी की शुरूआत की थी। दोनों प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में एमबीपीजी की छाप नजर आ रही है। दोनों ही प्रत्याशियों के चुनाव में एमबीपीजी कालेज के छात्र संघ से जुड़े पुराने नेता भी नजर आ रहे हैं। इधर मेयर का यह चुनाव एवबीवीपी और एनयूएसआई के लिए भी प्रतिश्ठा का सवाल बनकर रह गया है। मेयर के पद पर जो भी प्रत्याशी बाजी मारेगा, वो छात्र संगठन बीस साबित होगा।
क्या एमबीपीजी कालेज के दिन सुधरेंगे
हल्द्वानी। एमबीपीजी कालेज के छात्र नेता रह चुके गजराज बिश्ट और ललित जोशी के मेयर के चुनाव में उतरने से लोगों में यह भी चर्चाएं सुनने में आ रही हैं कि क्या ये नेता चुनाव जीतकर एमबीपीजी कालेज की सुध लेगें। इससे पूर्व एमबीपीजी कालेज में छात्र संघ अध्यक्ष रह चुके राम सिंह कैडा भी भीमताल से विधायक बन चुके हैं। अभी भी एमबीपीजी कालेज में तमाम समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। मसलन आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित पुस्तकालय, नये व रोजगारपरक विशय, पर्याप्त टायलेट आदि की मांग लंबे समय से चली आ रही है। हालाकि मेयर के पास कालेज संबंधी बजट तो नहीं होता है लेकिन पूर्व छात्र नेता होने के चलते इनसे ये उम्मीद तो लगाई जा सकती है कि ये अपने पूर्व विद्या मंदिर की सुध लेने को आवाज तो उठायें।