उत्तराखण्ड लालकुआं

सट्टे का खेल नव युवाओं को बना रहा कर्जदार।

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लालकुआं-(ज़फ़र अंसारी) लालकुआं शहर में आजकल सट्टे का खेल युवाओं और बुजुर्गों पर बड़े जोरों शोरों से चढ़कर नाच रहा है। कम खर्च में अधिक मुनाफे का यह खेल लोगों को कर्जदार बनाते जा रहा है। युवा पीढ़ी जल्द कुछ पैसा कमाने के चक्कर में रोजगार ना कर ऐसे ही तमाम तरह के सट्टेबाजों चक्कर में फस रही है। प्रशासन की नाक के नीचे हो रहे इस बड़े से खेल, क्या प्रशासन को नजर नहीं आता। तमाम बड़े सट्टेबाजों को आखिर किनका आश्रय मिला हुआ है। आखिर किन की मिलीभगत से चल रहा है ये खेल। आखिरकार क्यों पुलिस प्रशासन अपनी आंखें मूंदे हुए हैं? आपको बताते चलें कि लालकुआं छोटे से शहर में आजकल सट्टेबाजों का ऐसा बोल बाला चल रहा है की हर कोई उनकी लोभ लुहानी बातों में आकर अपनी मेहनत की पूंजी सट्टे में लगाकर खुद ही कर्जदार हुए जा रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शहर में तमाम सट्टेबाज जगह-जगह के शब्दों के नाम पर लोगों को कंगाल कर रहे हैं। मामला केवल यही तक नहीं रुकता अब सट्टे का खेल स्कूली बच्चों तक भी आ पहुंचा है। घर से मिले पॉकेट मनी के पैसों को बच्चे सट्टे में लगाकर उसके कई गुना कमाने के चक्कर में अपनी पढ़ाई लिखाई से भी विमुख होते दिखाई दे रहे हैं। लालकुआं के हाथीखाना क्षेत्र, संजय नगर बंजारी कंम्पनी, बंगाली कॉलोनी, 25 एकड़ कॉलोनी और भी इलाकों में यह सट्टे का खेल बड़ी तेजी से ही पैर पसार रहा है। वही लगातार पुलिस प्रशासन दावे पर दावे किए जा रहा है कि पुलिस चाबुक लगातार सट्टेबाजों पर प्रहार कर रहा है। सूत्रों की माने तो छोटे सट्टेबाजों तक ही पुलिस के हाथ पड़े हैं। अभी भी बड़े सरगनाओं तक पुलिस का पहुंचना नहीं हो पाया है। वही इन खेलों से कई घर भी बर्बाद हो चुके हैं न जाने कितने घर उजड़े। समाज में फैल रही ऐसी कुर्तियां अंदर ही अंदर हमारे समाज को खोखला करती जा रही है। इन सब का जिम्मेदार कौन होगा।

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