उत्तराखण्ड काशीपुर

मेयर चाहती तो लाँकडाउन से पीड़ित काशीपुर की गरीब जनता और व्यापारी हाऊस टैक्स की पेनाल्टी  से बच जातेः दीपक बाली

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काशीपुर (सुनील शर्मा) सुनील शर्मा आम आदमी पार्टी के चुनाव कैंपेन कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्य आंदोलनकारी दीपक बाली ने कहा है कि मेयर साहिबा चाहती तो दो दो लॉकडाउन से पीड़ित काशीपुर की आर्थिक रूप से परेशान जनता और व्यापारी भाइयों को हाउस टैक्स की पेनाल्टी की मार से बचा सकती थी मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया जिसका उन्हें अब जनता को जवाब देना चाहिए। बाली ने कहा कि उन्होंने कई दिन पूर्व नगर निगम आयुक्त को पत्र भेजकर मांग की थी की दो-दो बार के भयंकर लाँक डाउन की मार झेल चुकी काशीपुर की गरीब जनता एवं व्यापारियो से निर्धारित अवधि में हाऊस टैक्स व अन्य देनदारी न दे पाने के कारण नगर निगम जो पेनाल्टी वसूल रही है वह न वसूली जाए जिसके जबाब में उनके संज्ञान में आया है कि मेयर साहिबा और उनका चुना हुआ नगर निगम बोर्ड यदि काशीपुर की आर्थिक रूप से परेशान गरीब जनता व कारोबार ठप्प होने से परेशान व्यापारी भाइयों के प्रति गंभीर होते तो जनता और व्यापारी इस पेनल्टी से बच सकते थे क्योंकि समय रहते मेयर साहिबा अपने बोर्ड की बैठक बुलाकर टैक्स जमा करने की 31 अक्टूबर की अंतिम तारीख को प्रस्ताव पास कराकर आगे बढवा सकती थी मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया ।अब पेनल्टी माफ करने का अधिकार नगर निगम आयुक्त के पास नहीं है और यह शक्ति केवल प्रदेश सरकार के पास है ।ऐसे में मेयर साहिबा चाहे तो अभी भी काशीपुर की गरीब जनता इस पेनल्टी से बच सकती है क्योंकि प्रदेश में उन्हीं की पार्टी की सरकार है ।उन्हें चाहिए कि वह तत्काल देहरादून जाएं और अपनी प्रदेश सरकार से काशीपुर की जनता पर पड़ी पेनाल्टी की मार को खत्म कराने का आदेश लेकर आए। बाली ने कहा है कि हर चुने हुए जनप्रतिनिधि का नैतिक धर्म बनता है कि वह अपनी जनता को अधिक से अधिक सुविधाएं प्रदान करें मगर लगता है मेयर साहिबा ने अपना धर्म नहीं निभाया। निभाया होता तो आज काशीपुर की जनता पेनाल्टी न भर रही होती। ऐसे में काशीपुर की जनता को समझ जाना चाहिए कि उसने जिसे अपना मेयर चुना था वे अपनी ही सरकार के होते हुए भी जनता की मदद नही कर रही है। आखिर क्यों? वे जनता के प्रति थोड़ी सी भी जागरूक होती तो इस मामले में शासन के पास जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती क्योंकि अंतिम तिथि को आगे बढ़ाने का अधिकार तो उनके और उनके बोर्ड के पास ही था लेकिन उन्होंने उसका निर्वाह नहीं किया

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