रुद्रपुर-(एम् सलीम खान) रा.ई.का.फ़ौजी मतकोटा में गर्ल्स करियर काउंसलिंग प्रोग्राम के तहत विद्यालय में अध्ययनरत सभी बालिकाओं को रोजगार, स्वरोजगार,स्वास्थ्य, कैरियर काउंसिलिग,बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ,हाईजीन एवं किशोरावस्था से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं पर बात की गयी। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ग्रेट मोटिवेटर डॉ. उषा नरेंद्र जैन अध्यक्ष महिला एवं सामाजिक जागरूकता कल्याण समिति रही।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य अरुण कुमार सिंह जी ने किया व संचालन विमला रानी जी ने किया। इस प्रोग्राम में कालेज में पढ़ने वाली सभी बालिकाओं को महिला एवं सामाजिक जागरूकता कल्याण समिति की तरफ से हाईजीन किट भी बाटे गये। जिसमें समिति की सदस्य राधा देवी ने हाईजीन किट की जानकारी भी दी। मुख्य अतिथि डॉ. जैन ने बेटियों को पढ़ाई के तात्पर्य को समझाते हुये कहा कि पढ़ाई हमें केवल पास होने के लिये ही नही बल्कि हमें जीवन के हर पहलू में उसका सही इस्तेमाल करने के लिये व उससे जीवन में कुछ नया सीखने के व्यू से करनी है,जीवन में अपना जो भी लक्ष्य बनाये भले ही आपका टारगेट पढ़ाई का हो या जीवन में कुछ और करने का उसको हर समय अपने मस्तिष्क में रखने व उसको विज्युलाइज करने की बात कहते हुये कहा की समय निर्धारित करने की बात कही,
उन्होंने कहा कि अपना अनुशासन जरूरी है, कितने बजे क्या करना है उसके लिए टाएमटेबल फिक्स होना जरूरी है। आगे उन्होंने मोबाइल में उन चीजों को देखने की बात कही जिसमें कैरियर बनाना चाहते हो। साथ ही उन्होंने पॉजिटिव सोच रखने व माइंड में वही संकल्प चलाने की बात कही जिस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हो। साथ ही उन्होंने सभी बालिकाओं को सेल्फ-हेल्फ़ के टिप्स व अपने आपको कमजोर न समझने की बात बालिकाओं को समझाई।
डॉ. जैन ने बालिकाओं को उनके साथ होने वाले शारीरिक बदलाव के बारे में भी जागरूक किया और मासिक धर्म के दौरान बालिकाओं में होने वाली परेशानियों व सेनेटरी नेपकिन को कॉटन का यूज करने व व उचित समय पर बदलने व साफ सफाई का ध्यान रखने के लिये बेटियों को विशेष नॉलेज दी। आगे उन्होंने कहा कि आज की ये बेटियों हमारा कल का भविष्य है। आज हमारे देश में महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति बहुत गम्भीर है उसका में कारण है,रूढ़िवादी परम्परा व छुआछूत आज भी हमारे समाज में व्यापक है,
जिससे महिलायें या बेटियों अपनी समस्याओं को बताने में शरमाती व कतराती है। आज भी समाज में मासिक धर्म को अलग नजरिये से देखा जाता है इसके प्रति जागरूकता की कमी है। अगर आज की बेटियों को इसके लिये जागरुक कर दिया जाय तो कल के दिन ये स्वस्थ रह भी सकती है और अपने परिवार को भी रख सकती है। आगे उन्होंने बालिकाओं को आत्मनिर्भर रहने की भी बात कहते हुये कहा अपने आओको मजबूत बनाकर आत्मनिर्भर बनकर लेने वाला नही बल्कि देने वाला बनना है।
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