
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की बोर्ड बैठक में महिला सुरक्षा, उनके अधिकारों की रक्षा, पारिवारिक सुदृढ़ता और सशक्तिकरण को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक का आयोजन देहरादून स्थित महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास निदेशालय के सभागार में किया गया। बैठक में आयोग की अध्यक्ष की अध्यक्षता में नवनियुक्त उपाध्यक्षों और समस्त सदस्यगणों ने भाग लिया।

बैठक की शुरुआत आयोग की सदस्य सचिव और विधि अधिकारी द्वारा स्वागत एवं नव नियुक्त सदस्यों के परिचय से हुई। इसके बाद आयोग के कार्यों की रूपरेखा, बीते वर्ष की समीक्षा और आगामी कार्ययोजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
महिला सुरक्षा के लिए समर्पित योजनाएं और दिशा-निर्देश
बैठक में आयोग की अध्यक्ष ने इस बात पर बल दिया कि आयोग का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना है। इसके लिए सभी सदस्यों को अपने-अपने जनपदों में जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, जिला कार्यक्रम अधिकारी और बाल विकास परियोजना अधिकारियों के साथ समन्वय बनाकर कार्य करने के निर्देश दिए गए।
महिला आयोग प्रत्येक जिले में सक्रिय भूमिका निभाएगा और पीड़िताओं को न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। सभी 13 जिलों में महिला जागरूकता शिविर, विधिक कार्यशालाएं और जनसुनवाई आयोजित की जाएंगी ताकि महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें और उन्हें हर स्तर पर समर्थन मिल सके।
वन स्टॉप सेंटर और मुख्यालय को लेकर विशेष निर्णय
बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया कि राज्य महिला आयोग का मुख्यालय देहरादून शहर के भीतर होना चाहिए, ताकि दूर-दराज से आने वाली पीड़िताओं को पहुंचने में कठिनाई न हो। साथ ही यह भी प्रस्ताव पारित किया गया कि बड़े जिलों में जहां वन स्टॉप सेंटर की पहुंच सीमित है, वहां दो स्थानों पर सेंटर संचालित किए जाएं।
इसके अतिरिक्त सभी जनपदों के वन स्टॉप सेंटर्स के स्मार्टिकरण की अनुशंसा की गई, जिससे वहां की सुविधाओं को और बेहतर बनाया जा सके।
पारिवारिक सुदृढ़ता के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था
महिला आयोग ने विवाह पूर्व काउंसलिंग को नई प्राथमिकता देने की योजना बनाई है, जिससे विवाहित जीवन की शुरुआत से पहले जोड़ों को मानसिक और सामाजिक मार्गदर्शन मिल सके। इसके साथ ही राष्ट्रीय महिला आयोग के निर्देशानुसार “तेरे मेरे सपने” थीम पर आधारित सास-बहू काउंसलिंग सेल की स्थापना प्रत्येक जनपद में की जाएगी।
इस पहल का उद्देश्य घरेलू कलह को कम करना, पारिवारिक तनाव को दूर करना और महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है।
नव नियुक्त उपाध्यक्षों की जिम्मेदारियाँ
बैठक में आयोग की नवनियुक्त उपाध्यक्षों को उनके कार्यक्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई। एक उपाध्यक्ष पौड़ी, उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों में कार्यों की निगरानी करेंगी, वहीं दूसरी उपाध्यक्ष ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार और अल्मोड़ा जिलों की जिम्मेदारी संभालेंगी।
सभी सदस्यगणों को यह निर्देश दिया गया कि वे अपने जनपदों में सक्रिय रहकर महिला हितों की रक्षा के लिए प्रशासन से सहयोग लें और पीड़िताओं को शीघ्र न्याय दिलाने हेतु आवश्यक कार्यवाही करें।
आयोग की भविष्य की योजना और निरीक्षण कार्य
आयोग द्वारा यह भी निर्णय लिया गया कि आने वाले महीनों में सभी जिलों के वन स्टॉप सेंटर्स, नारी निकेतन, किशोरी संप्रेषण गृहों एवं कारागारों का निरीक्षण किया जाएगा। इन निरीक्षणों के माध्यम से व्यवस्थाओं का मूल्यांकन कर सुधारात्मक कार्य किए जाएंगे।
महिला आयोग का व्यापक दृष्टिकोण
बैठक में बीते वित्तीय वर्ष में दर्ज मामलों की संख्या और विशेष मामलों की समीक्षा की गई। अध्यक्ष द्वारा आयोग के कार्यों की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर बल दिया गया और सभी सदस्यों को प्रेरित किया गया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में निष्कलंक, निष्ठावान और सक्रिय भूमिका निभाएं।
बैठक के अंत में आयोग के सभी अधिकारियों और स्टाफ का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए बैठक का समापन किया गया। आयोग की इस बैठक से स्पष्ट संकेत मिला है कि उत्तराखंड राज्य महिला आयोग आने वाले समय में महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और मानसिक सशक्तिकरण को लेकर और भी मजबूत भूमिका निभाने जा रहा है।
