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यूक्रेन से सकुशल वापस अपने वतन लौटी काशीपुर की बेटी उंजिला

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काशीपुर-(सुनील शर्मा) रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग अब और तेज और घातक हो गयी है। इस बीच काशीपुर की उंजिला सैफ़ी खारकीव में कई दिन बंकर में बिताने के बाद कड़ा संघर्ष कर अपने वतन सकुशल लौट आयी। काशीपुर में घर वापस आने के बाद उंजिला ने उत्तराखंड खबरनामा न्यूज़ से वहां के हालात और बिताये गए दहशत के पल साझा किए।

 

काशीपुर के रहने वाले शमीम सैफी की बेटी उंजिला सैफ़ी यूक्रेन में पिछले 3 वर्षों से एमबीबीएस का कोर्स कर रही थी और वर्तमान में युद्ध शुरू होने की दशा में खारकीव में थी। युद्ध शुरू होने के बाद खारकीव से लगातार जंग तेज होने की और हालात खराब होने की खबरों के बीच उन्जिला के परिजन उंजिला को लेकर खासे चिंतित थे। उनके परिवार में उनकी माँ संजीदा सैफी, पिता शमीम सैफ़ी, बड़ी बहन डॉ. सदफ सैफ़ी लगातार उन्जिला को लेकर दहशत में थे

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और खुदा से उसकी सलामती और सकुशल वापसी की दुआ ककर रहे थे। उन सबकी दुआ रविवार को  आख़िरकार रंग लाई हैं। और उंजिला 6 दिन का सफर तय करने के बाद आज शाम अपने वतन काशीपुर पहुंची। उंजिला के काशीपुर अपने घर पहुंचने के बाद परिजनों ने वेटी का  केक काटकर स्वागत किया। इस दौरान शमीम सैफ़ी के घर लगातार शुभकामनाएं देने आने वालों का तांता लगा रहा। इस दौरान उत्तराखंड खबरनामा न्यूज़ के रिपोर्टर सुनील शर्मा से बातचीत में उंजिला ने बताया कि खारकीव के हालात काफी खराब थे।

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वह बीते 1 मार्च को खारकीव में पैदल चलकर वहां के रेलवे स्टेशन पहुंची जहां से वह 21 घंटे का सफर तय कर लवीव पहुंची। लवीव से 20 किलोमीटर तक का पैदल मुश्किल सफर तय करके पोलैंड बॉर्डर पहुँचे। बॉर्डर पर 10 घंटे तक -5 डिग्री तापमान में लाइन में खड़े रहे। उन्होंने कहा कि उन्होंने जिंदगी में कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसे हालातों से भी सामना होगा। पहली बार उन्होंने बमबारी और युद्ध का सायरन तथा मिसाइल के हमले की आवाजें सुनी।

 

इन दौरान उन्हें बहुत डर लगता था। बंकर में करीब 100 लोग थे। बंकर में यूक्रेन के लोगों ने भेदभाव नहीं किया, लेकिन इस दौरान बहुत मुश्किल वक़्त बिताया। सायरन बजते ही बमबारी की आवाजें लगातार आती थीं। बेटी के सकुशल लौटने पर उंजिला की माँ संजीदा काफी खुश दिखीं तथा उन्होंने कहा कि उनके पास कहने को लफ्ज नहीं हैं अपने दम पर हिम्मत दिखाकर उनकी बेटी आज के दिनों का सफर तय कर घर पहुंची है।

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उन्होंने भारत सरकार का शुक्रिया अदा किया। बहन डॉ. सदफ ने कहा कि परिवार का एक सदस्य दिक्कत में होता है तो परिवार में कैसा माहौल होता है वह मैने देखा है। रविवार को  उंजिला के वापस लौटने पर परिवार के सभी सदस्यों को खुश देखकर वह काफी खुश हैं। पिता शमीम सैफ़ी इस दौरान काफी खुश दिखे। उन्होंने देश के सभी नागरिकों के जल्द से जल्द वतन वापसी की दुआ की।

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