
हल्द्वानी – उत्तराखण्ड वन विकास निगम के प्रबंध निदेशक जी.एस. पाण्डे ने कुमाऊं मंडल का भ्रमण कर निगम के कार्यों की गहन समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने विक्रय प्रभाग, हल्द्वानी के लालकुआं डिपो संख्या-04 एवं 05 का निरीक्षण किया, जहां उन्होंने डिपो की कार्यप्रणाली, ग्रेडिंग, चट्टाबंदी, राजस्व व्यवस्था और आग से बचाव के उपायों का जायजा लिया।
निरीक्षण के दौरान प्रबंध निदेशक ने सागौन, खैर, यूकेलिप्टस एवं पॉपलर की प्रकाष्ठ का मौके पर निरीक्षण कर उसकी गुणवत्ता और भंडारण व्यवस्था को परखा। साथ ही, उन्होंने प्रभागीय विक्रय प्रबंधक, हल्द्वानी को निर्देशित किया कि डिपो की अवसंरचना में सुधार किया जाए और ग्रेडिंग कार्यों को अधिक तेजी से पूरा किया जाए।

वन संरक्षण एवं आधुनिकीकरण पर जोर
तीन दिवसीय दौरे के दौरान वन विकास निगम में आधुनिकीकरण, इकोटूरिज्म, कृषि वानिकी, लोक कल्याणकारी योजनाओं और हर्बल सेक्टर को बढ़ावा देने पर विस्तृत चर्चा की गई। इस संबंध में उत्तराखण्ड वानिकी एवं प्रशिक्षण अकादमी, हल्द्वानी में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई, जिसमें वन विभाग एवं वन विकास निगम के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में वन संरक्षक (पश्चिमी वृत्त), प्रभागीय वनाधिकारी (हल्द्वानी) और उप निदेशक (एफटीआई) भी उपस्थित रहे।
आउटसोर्स कर्मचारियों को मिला आश्वासन
वन विकास निगम के क्रेताओं, प्रकाष्ठ ढुलानकर्ताओं, कर्मचारी संगठनों एवं आउटसोर्स कर्मियों से भी प्रबंध निदेशक ने विस्तृत वार्ता की। उन्होंने आउटसोर्स कर्मियों को आश्वस्त किया कि अगले वर्ष में पूर्व से कार्यरत कर्मियों को प्राथमिकता दी जाएगी और उनके वेतन में कोई कटौती नहीं की जाएगी। साथ ही, सभी प्रभागीय प्रबंधकों को निर्देश दिया गया कि श्रम कानूनों का पालन कर आउटसोर्स कर्मियों के हितों की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति
निरीक्षण एवं बैठकों के दौरान महाप्रबंधक एवं मुख्य वन संरक्षक (कुमाऊं) डॉ. धीरज पाण्डेय, क्षेत्रीय प्रबंधक (कुमाऊं), मयंक शेखर झा, वन विकास निगम के प्रभागीय प्रबंधक एवं अन्य उच्च अधिकारी भी उपस्थित रहे।
वन विकास निगम के कार्यों को मिलेगी नई दिशा
प्रबंध निदेशक जी.एस. पाण्डे के इस निरीक्षण एवं समीक्षा बैठक से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि वन विकास निगम में पारदर्शिता, आधुनिकरण और वन संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसके साथ ही, इकोटूरिज्म एवं हर्बल सेक्टर को बढ़ावा देकर वन विभाग की कार्यप्रणाली को और अधिक प्रभावी एवं लोक कल्याणकारी बनाया जाएगा।
