निजी स्कूलों में अवैध शुल्क वसूली पर बढ़ा विवाद, अभिभावकों ने की सख्त कार्रवाई की मांग….

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

ख़बर शेयर करें -

नैनीताल: जिले में शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है। नए शैक्षणिक सत्र के शुरू होने से पहले निजी विद्यालयों द्वारा अभिभावकों से अधिक शुल्क वसूलने, महंगी किताबों को अनिवार्य बनाने और अन्य अनियमितताओं की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष पीयूष जोशी ने स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा है कि यदि प्रशासन की ओर से कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो न्यायालय की शरण ली जाएगी।

पुरानी चेतावनियां बेअसर, अभिभावकों में नाराजगी

पिछले वर्ष प्रशासन की ओर से निजी विद्यालयों पर अनियमित शुल्क वसूली को लेकर नोटिस जारी किया गया था। इसमें स्पष्ट किया गया था कि यदि कोई स्कूल अवैध रूप से कैपिटेशन फीस या अन्य शुल्क वसूलता है तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद, स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ और कई विद्यालय अपनी मनमानी जारी रखे हुए हैं। इस लापरवाही से छात्रों और अभिभावकों में भारी असंतोष व्याप्त है।

अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूलों में हर साल फीस और अन्य शुल्कों में मनमाने ढंग से बढ़ोतरी कर दी जाती है। स्कूलों द्वारा छात्रों को महंगे ब्रांड की किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है, जिससे मध्यम वर्गीय और निम्न आय वर्ग के परिवारों पर आर्थिक दबाव बढ़ता जा रहा है।

प्रशासन ने जारी किए नए दिशानिर्देश

शिक्षा विभाग ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए हाल ही में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें निम्नलिखित बिंदुओं को अनिवार्य किया गया है:

  1. टी.सी. सत्यापन एवं अभिलेख प्रबंधन: विद्यालयों को छात्रों के ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टी.सी.) का सत्यापन अनिवार्य रूप से शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड से मिलान कराना होगा। इससे स्कूलों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।
  2. शुल्क संरचना में पारदर्शिता: सभी विद्यालयों को अपनी फीस संरचना को सार्वजनिक रूप से वेबसाइट पर उपलब्ध कराना होगा ताकि अभिभावकों को कोई गलतफहमी न हो। स्कूलों को हर प्रकार के शुल्क की पूरी जानकारी देनी होगी और इसे समय-समय पर अपडेट करना होगा।
  3. महंगी किताबों की अनिवार्यता पर रोक: सभी निजी स्कूलों को एनसीईआरटी की किताबें ही अपनानी होंगी। अन्य प्रकाशकों की पुस्तकों का मूल्य एनसीईआरटी के समकक्ष ही रखा जाएगा। इसके अतिरिक्त, स्कूलों को अपने स्तर पर किताबें और यूनिफॉर्म बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिससे छात्रों को स्वतंत्र रूप से बाजार से उचित मूल्य पर सामान खरीदने का विकल्प मिलेगा।
  4. आरटीई एवं बाल संरक्षण कानून का पालन: सभी निजी विद्यालयों को इन नियमों का सख्ती से पालन करना होगा, अन्यथा उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का प्रावधान है, लेकिन कुछ निजी विद्यालय इसे लागू करने में आनाकानी कर रहे हैं। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई विद्यालय इस नियम का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसकी मान्यता रद्द करने तक की कार्रवाई की जा सकती है।

शिकायत के लिए हेल्पलाइन और ईमेल सुविधा

मुख्य शिक्षा अधिकारी की ओर से एक हेल्पलाइन और ईमेल आईडी जारी की गई है, जहां अभिभावक स्कूलों की अनियमितताओं की शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अब अभिभावकों को स्कूलों के खिलाफ अपनी बात रखने के लिए एक सीधा माध्यम मिल गया है।

शिकायत दर्ज कराने के लिए निम्नलिखित माध्यमों का उपयोग किया जा सकता है:

  • ईमेल: ceonainital11@gmail.com, rmsanaini@gmail.com
  • हेल्पलाइन नंबर: जल्द ही जारी किया जाएगा

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि प्राप्त होने वाली हर शिकायत की गहन जांच की जाएगी और दोषी स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

सख्त कार्रवाई की मांग, आंदोलन की चेतावनी

सामाजिक कार्यकर्ता पीयूष जोशी ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन केवल नोटिस जारी कर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझेगा तो अभिभावक और सामाजिक कार्यकर्ता मिलकर उग्र आंदोलन करेंगे। उन्होंने मांग की है कि निजी विद्यालयों में औचक निरीक्षण किया जाए और दोषी स्कूलों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

उनका कहना है कि केवल नोटिस जारी कर देने से समस्या का हल नहीं निकलेगा, बल्कि प्रशासन को जमीनी स्तर पर जाकर इसकी जांच करनी होगी। निजी विद्यालयों में हो रही अवैध वसूली पर रोक लगाने के लिए कड़े नियम बनाए जाने चाहिए और दोषी स्कूलों पर जुर्माना लगाने के साथ-साथ उनकी मान्यता रद्द करने का भी प्रावधान होना चाहिए।

अभिभावकों की बढ़ती चिंताएं

निजी स्कूलों में हो रही अनियमितताओं को लेकर अभिभावकों की चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। कई अभिभावकों का कहना है कि प्रशासन को जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याएं न हों।

एक अभिभावक ने कहा, “हर साल हमें नए नियमों और बढ़ती फीस का सामना करना पड़ता है। स्कूल अपनी मनमर्जी से फीस बढ़ाते हैं और हमें जबरन महंगी किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने पर मजबूर किया जाता है। प्रशासन को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”

प्रशासन के आगे कड़े सवाल

  • क्या निजी विद्यालय प्रशासन के निर्देशों का पालन करेंगे?
  • क्या अभिभावकों को न्याय मिलेगा, या यह विवाद केवल नोटिस तक सीमित रहेगा?
  • क्या शिक्षा विभाग दोषी स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई करेगा, या फिर से अभिभावकों को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा?

यह मामला अब गंभीर रूप लेता जा रहा है और अभिभावकों को उम्मीद है कि प्रशासन जल्द ही कोई ठोस कदम उठाएगा। यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा आंदोलन भी खड़ा हो सकता है।

Leave a Comment

और पढ़ें

error: Content is protected !!