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हिमालय राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में गढ़वाली भाषा दिवस के अवसर पर किया गया निबंध प्रतियोगिता का आयोजन…….

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कोटद्वार- डॉ.पीतांबर दत्त बड़थ्वाल हिमालय राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में नई शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा प्रकोष्ठ एवं आइक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान मेंआज दिनाँक 2.9.23 को गढ़वाली भाषा दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग द्वारा  निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसका शीर्षक *स्थानीय भाषा के रूप में गढ़वाली भाषा की उपादेयता था। महाविद्यालय की संरक्षिका, प्राचार्य प्रोफेसर जानकी पवार ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताओं से नई पीढ़ी अपनी बोली-भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन में आगे आएगी ,जिससे लुप्तप्रायःस्थानीय भाषा एवम बोलियों का संरक्षण किया जा सकता है।

 

विभाग प्रभारी डॉ. शोभा रावत ने कहा कि हम भले ही अनेक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लें लेकिन अपनी दुध -बोली से जुड़े रहना अपनी माटी से जुड़े रहने के समान है। इसलिए नई पीढ़ी को विभिन्न माध्यमों से जागरूक करना अति आवश्यक है। डॉ. कपिल थपलियाल ने कहा  कि यदि युवा पीढ़ी गढ़वाली साहित्य का अध्ययन करें तो वह समझ सकते हैं कि इसमें विषद साहित्य भंडार है ।डॉ .सुमन कुकरेती ने कहा कि गढ़वाली का शब्द भंडार समृद्ध है । डॉ विजय लक्ष्मी ने कहा कि जो भी छात्र-छात्राएं गढ़वाली प्रकोष्ठ से जुड़ना चाहते हैं

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वे हिंदी विभाग से संपर्क करें प्रतियोगिता में महाविद्यालय के अनेक छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया जिसमें तृतीय स्थान पर   डॉ.पीतांबर दत्त बड़थ्वाल हिमालय राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में नई शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा प्रकोष्ठ एवं आइक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान मेंआज दिनाँक 2.9.23 को  गढ़वाली भाषा दिवस के अवसर पर हिन्दी विभाग द्वारा  निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसका शीर्षक स्थानीय भाषा के रूप में गढ़वाली भाषा की उपादेयता  था। महाविद्यालय की संरक्षिका, प्राचार्य प्रोफेसर जानकी पवार ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताओं से नई पीढ़ी अपनी बोली-भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन में आगे आएगी ,जिससे लुप्तप्रायःस्थानीय भाषा एवम बोलियों का संरक्षण किया जा सकता है।

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विभाग प्रभारी डॉ. शोभा रावत ने कहा कि हम भले ही अनेक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लें लेकिन अपनी दुध -बोली से जुड़े रहना अपनी माटी से जुड़े रहने के समान है। इसलिए नई पीढ़ी को विभिन्न माध्यमों से जागरूक करना अति आवश्यक है। डॉ. कपिल थपलियाल ने कहा  कि यदि युवा पीढ़ी गढ़वाली साहित्य का अध्ययन करें तो वह समझ सकते हैं कि इसमें विषद साहित्य भंडार है ।डॉ .सुमन कुकरेती ने कहा कि गढ़वाली का शब्द भंडार समृद्ध है । डॉ विजय लक्ष्मी ने कहा कि जो भी छात्र-छात्राएं गढ़वाली प्रकोष्ठ से जुड़ना चाहते हैं वे हिंदी विभाग से संपर्क करें।प्रतियोगिता में महाविद्यालय के अनेक छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया जिसमें तृतीय स्थान पर लक्ष्मी बी. ए. प्रथम सैमेस्टर , द्वितीय स्थान अंजलि एम.ए.तृतीय सैमेस्टर एवं प्रथम स्थान अमीषा एम.ए.तृतीय सैमेस्टर  रहे।

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