पुरानी पेंशन बहाली के लिए एक बार कर्मचारी अपने हक की लड़ाई के लिए संघर्षरत हो गए हैं। लोकसभा चुनाव से पूर्व जहां कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार चुनाव से पहले कुछ ना कुछ उनके हित में फैसला लेगी लेकिन उसके द्वारा इस महत्वपूर्ण मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया गया। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद पूर्ण बहुमत न मिलना भी कर्मचारियों के आक्रोश का ही परिणाम था। पुनः जब गठबंधन के साथ सरकार बनी है तो सरकार ने कर्मचारियों के लिए यूपीएस लाकर कुछ राहत देने की झूठी कोशिश की है।
जबकि कर्मचारी पुरानी जीएफ आधारित पेंशन से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा भी यूपीएस प्रणाली को कर्मचारी हित में नहीं मानती है। प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि वे यूपीएस का विरोध करते हैं। उन्होने कहा कि यह राष्ट्रीय स्तर पर 36 संगठनों के संयुक्त फॉर्म का ही दबाव था कि केंद्र सरकार को अपनी एनपीएस व्यवस्था को यूपीएस में बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा।
लेकिन यह फिर भी कर्मचारी हित में नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष जयदीप रावत ने बताया कि यदि हमें पुरानी पेंशन को पाना है तो एकजुटता से एक मंच पर आकर इस लड़ाई को लड़ना होगा। कम से कम प्रदेश स्तर पर हमें संयुक्त मोर्चा बनाकर लड़ाई लड़नी होगी। तभी सरकार पर दबाव बनेगा। प्रदेश प्रभारी विक्रम सिंह रावत ने कहा कि राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा द्वारा लगातार सभी कार्मिक संगठनों एवं पुरानी पेंशन के लिए लड़ रहे संगठनों को एक करने का प्रयास किया गया लेकिन इसमें अभी तक सफलता नहीं मिल पाई है।
हमारा प्रयास जारी रहेगा। प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार अवस्थी ने बताया कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए संयुक्त मोर्चा कार्यक्रम के माध्यम से सरकार पर दबाव बनाएगा। जिसका ऐलान शीघ्र ही किया जाएगा।
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