
हल्द्वानी – उत्तराखंड के अल्मोड़ा और भीमताल में स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से निकले पानी की गुणवत्ता एक बार फिर जांच में फेल हो गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PCB) द्वारा कराई गई जांच में दोनों जगहों पर बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा मानक से अधिक पाई गई, जिससे यह संकेत मिलता है कि जल शोधन की प्रक्रिया सही से काम नहीं कर रही है।
लगातार दूसरी बार फेल हुए सैंपल
जनवरी में हुए परीक्षण के दौरान अल्मोड़ा और भीमताल के एसटीपी से लिए गए पानी के सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे। रिपोर्ट के अनुसार, भीमताल में बीओडी 30 के बजाय 40 और अल्मोड़ा में 30 के बजाय 36 पाया गया। यह लगातार दूसरी बार है जब दोनों जगहों के सैंपल जांच में फेल हुए हैं। इससे पहले दिसंबर में भी इन्हीं प्लांट्स के सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे थे।
क्या होता है बीओडी और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) पानी में मौजूद जैव निम्नीकरणीय कार्बनिक पदार्थ की मात्रा को दर्शाता है। यदि बीओडी का स्तर अधिक होता है, तो पानी को शुद्ध करने के लिए ज्यादा ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। उच्च बीओडी स्तर का मतलब है कि पानी में मौजूद गंदगी को पूरी तरह से साफ नहीं किया गया है, जिससे यह जलस्रोतों में मिलकर पर्यावरण और जलीय जीवों को नुकसान पहुंचा सकता है।
पीसीबी करेगा सख्त कार्रवाई
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अनुराग नेगी ने बताया कि समय-समय पर जल शोधन संयंत्रों से निकलने वाले पानी की जांच की जाती है। अल्मोड़ा और भीमताल के सैंपल जांच में फेल होने के बाद दोनों जल संस्थानों को आवश्यक सुधार करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि इन दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया, तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
पुरानी मशीनें बनी समस्या
जानकारी के अनुसार, अल्मोड़ा और भीमताल के जल शोधन संयंत्रों में पुरानी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे पानी का उचित तरीके से शोधन नहीं हो पा रहा है। अल्मोड़ा का एसटीपी 2 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रति दिन) क्षमता का है, जबकि भीमताल का एसटीपी 1.25 एमएलडी क्षमता का है। इन दोनों प्लांटों से शुद्ध किया गया पानी नदियों में छोड़ा जाता है, लेकिन अगर पानी पूरी तरह से साफ नहीं हुआ तो यह नदियों की पारिस्थितिकी और जीव-जंतुओं के लिए हानिकारक हो सकता है।
दूसरे स्थानों पर स्थिति सामान्य
इसी जांच में नौ अन्य सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों के सैंपल भी लिए गए थे, जिनमें से अधिकतर मानकों पर खरे उतरे। नैनीताल, हल्द्वानी, रामनगर और पिथौरागढ़ के एसटीपी में बीओडी का स्तर निर्धारित सीमा के भीतर पाया गया।
स्थान | बीओडी स्तर (मिलीग्राम प्रति लीटर) |
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एसटीपी कृष्णापुर, नैनीताल | 24 |
एसटीपी हरिनगर, नैनीताल | 22 |
एसटीपी नारायणनगर, नैनीताल | 24 |
एसटीपी इंद्रा नगर, हल्द्वानी | 8 |
एसटीपी रामनगर | 10 |
एसटीपी ट्रांसपोर्ट नगर, रामनगर | 8 |
एसटीपी निरादा, पिथौरागढ़ | 18 |
एसटीपी ऐंचोली, पिथौरागढ़ | 20 |
बीओडी का मानक स्तर 30 तक होना चाहिए, लेकिन अल्मोड़ा और भीमताल में यह तय सीमा से अधिक पाया गया।
समाधान के लिए आवश्यक कदम
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जल शोधन संयंत्रों में आधुनिक मशीनरी का उपयोग किया जाए।
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नियमित निरीक्षण और रखरखाव किया जाए ताकि पानी की गुणवत्ता बनी रहे।
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जल संस्थानों को शुद्धिकरण प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने के निर्देश दिए जाएं।
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जल निकासी को नियंत्रित कर पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा जाए।
क्या होगा आगे?
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जल संस्थानों को नोटिस जारी कर दिया गया है और उनसे जल्द से जल्द समाधान लागू करने को कहा गया है। यदि सुधार नहीं हुआ तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अल्मोड़ा और भीमताल के जल शोधन संयंत्रों की जांच रिपोर्ट चिंता का विषय है। जल संसाधनों की शुद्धता बनाए रखना आवश्यक है, ताकि नदियों का पानी प्रदूषित न हो और पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। यदि जल्द से जल्द इन प्लांटों को अपग्रेड नहीं किया गया, तो आने वाले समय में गंभीर जल संकट और पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं

