उत्तराखण्ड क्राइम रामनगर

ज्वाला वन में यूकेलिप्टस ओर बेशुमार कीमती सागौन के हरे पेड़ो का हुआ बड़े पैमाने पर अवैध कटान……..

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बड़े पैमाने पर अवैध कटान, मुख्यमंत्री को भनक तक नही अब हुआ मामला उजागर……….

रामनगर-मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भ्रस्टाचार मुक्त उत्तराखंड की मुहिम को अधिकारी क्यो लगा रहे है पलीता कब होगी कार्यवाही इस बात का इन्तेजार अब रामनगर की जनता भी कर रही हैं मामला तराई पष्चिमी डिवीजन रामनगर के ज्वाला वन में वन निगम को यूकेलिप्टस की लौट काटने की परमिशन दी गई थी जैसे ही ज्वाला वन में निगम का कटान शुरू हुआ तस्करों की मौज आ गई यूकेलिप्टस ओर सागौन के हरे पेड़ो को तस्करों ने जमकर काटा हैं ये पूरा मामला ज्वाला वन से अवैध रूप से काटे गए पेड़ो की वीडियो सामने आने के बाद हाहाकार मच गया हैं।। पढ़े एक रिपोर्ट……

तराई पष्चिमी डिवीजन रामनगर के ज्वाला वन में बड़ी संख्या में काटे गए यूकेलिप्टस ओर सागौन की बेसुमार कीमती हरे पेड़ों के मामले ने अब विवाद का रूप ले लिया है वन विभाग हो या फिर वन निगम दोनों ही एक दूसरे को ऊपर जमकर निशाने साध रहे है आरोप-प्रत्यारोप के इस खेल में दोनों विभाग के अधिकारी एक दूसरे को ऊपर जमकर लांछन लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं। दरअसल मामला यूके लिप्टिस ओर सागौन के हरे पेड़ो से जुड़ा है जहां वन विभाग ने वन निगम को यूके लिप्टिस के पेड़ो की लौट काटने की परमिशन दी थी और उसी के बीच माफियाओं द्वारा यूकेलिप्टस ओर हरे सागौन के अवैध रूप से पेड़ों को काटकर ऊंचे दामों में बेचा जा रहा था जिसकी सूचना मिलते ही वन विभाग के डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य ने कानूनी कार्रवाई करते हुए अपने कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया और जांच के आदेश दिये। वन विभाग की कार्रवाई के बाद वन निगम ने भी अपने  कर्मचारियों पर सस्पेंड की कार्रवाई करते हुए कुछ कर्मचारियों को नोटिस भी दिया। वन विभाग की इस कार्रवाई को लेकर वन निगम का दर्द छलक उठा वन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक हरीश पाल का कहना है, हमारे पास संसाधन नहीं है ज्यादा कर्मचारी नहीं है समय-समय पर हमने पुलिस और वन विभाग से सुरक्षा की दृष्टि से मांग की जाती लेकिन हमारी किसी ने मदद नही की है। और क्या कुछ कहा आप भी सुनिए।।।।

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क्षेत्रीय प्रबंधक हरीश रावत की बात सुनकर आप समझ ही गए होगे कि हरीश पाल क्या कहना चाहते हैं, उनका कहने का मतलब साफ है कि माफियाओं द्वारा जो अवैध रूप से पेड़ काटे जा रहे थे उन्हें रोकने के लिए वन निगम सक्षम नहीं था मदद की गुहार लगाई गई मदद नहीं मिली इसका मतलब साफ है कि वन निगम की कोई भी गलती नहीं सारी गलती वन विभाग की है। वही पूरे मामले में डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य का कहना है कि वन निगम को समय-समय पर सूचित किया जा रहा हैं कि अवैध रूप से पेड़ों को काटकर निकाला जा रहा है लेकिन वन निगम ने कोई भी कार्यवाही नहीं की मजबूरन वन विभाग ने कार्रवाई की और माफियाओं द्वारा काटे गए पेड़ों को बरामद भी किया हैं।

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मुख्यमंत्री मंत्री पुष्कर सिंह धामी भले ही भ्रस्टाचार को रोकने के लिए प्रयास कर रहे हो लेकिन जंगल में माफियाओं का कितना बोलबाला है आप इस बात से अंदाजा लगा लीजिए कि जहां वन निगम को पेड़ों को काटने की परमिशन दी गई उन पेड़ो को काटने के साथ ही बेसुमार कीमती सागौन के हरे पेड़ो को माफियाओं द्वारा काटकर ऊंचे दामों में बेचा जा गया हालांकि वन विभाग माफियाओं के वहां से अवैध रूप से काटे गए यूकेलिप्टस के पेड़ों का माल बरामद करने की बात कह रहा है लेकिन बेसुमार कीमती सागौन के काटे गए हरे पेड़ो की लकड़ी बरामद करने में नाकाम नजर आ रहा है लेकिन माफियाओं के ऊंचे रसूख के आगे वन विभाग भी अब नतमस्तक होता हुआ दिखाई दे रहा है। तभी तो कोई भी बड़ा लकड़ी तस्करी माफिया जेल की काल कोठरी तक नहीं पहुंचा ज्वाला वन में लकड़ी तस्करी का कितना  बड़ा खेल हुआ है उस खेल की बानगी बया करने के लिए ये वीडियो काफी हैं वन निगम की मंशा हैं कि अब इस गम्भीर  प्रकरण में एक उच्चस्तरीय जाँच हो ताकि इस लकड़ी तस्करी के बड़े घोटाले की पोल खुल सके।

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