उत्तराखण्ड ज़रा हटके

गाँवों में मृतकों का शवदाह करना भी टेढी खीर के समान हो गया है……

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रिखणीखाल- बरसात के मौसम में गांवों में मृतकों के शवदाह करना भी एक जटिल समस्या हो गई है।ताजा वाक्या रिखणीखाल प्रखंड के ग्राम नावेतल्ली का है,,जहाँ एक वृद्धा महिला का देहांत हो गया। बारिश रात दिन लगी है।श्मशान घाट गाँव से 3-4 किलोमीटर दूर “सवणी रौल “,है।जो छः सात गाँवों का शवदाह स्थल है।ग्रामीण भीगते भीगते शव को श्मशान घाट ले तो गये,लेकिन अब समस्या आ गई कि शव का निस्तारण कैसे करें।

 

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जंगल में जो भी लकड़ी थी सब गीली थी व उनसे पानी गिर रहा था।ग्रामीणों ने 3-4 गठ्ठर सूखी लकडी,पुराने निष्प्रयोज्य रबर टायर, क्याडा, चीनी मिट्टी तेल,डीजल आदि सामाग्री ले गये।फिर भी लकडिय़ों ने आग नहीं पकड़ी।पूर दिन शव को उलटने पलटने में लगा,जो भी लोग शव यात्रा में गये थे ,बुरी तरह भीगे थे।रास्ते में झाड़ियां भी थी,जंगली जानवर का भय अलग था।

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ग्रामीणों की मांग है कि यदि जिला प्रशासन, पंचायत प्रशासन शवदाह करने के लिए 20’×15′ साइज के ,02 टिन शैड श्मशान के नजदीक निर्मित कर दे तो शवदाह करने में आसानी होगी।एक टिन शैड शवदाह के लिए, एक शव यात्रा में शामिल लोगों के ठहरने व बैठने के लिए हो। इसी परिप्रेक्ष्य में ग्राम नावेतल्ली के ग्रामीणों की मांग है कि उनकी इस समस्या का समाधान किया जाये,ताकि बरसात के मौसम में परेशानी न हो।

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