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गेहूँ कटाई के बाद ग्रीष्मकालीन धान की रोपाई करने पर पूर्णतः प्रतिबन्ध….

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रुद्रपुर – जिला मजिस्ट्रेट नितिन सिंह भदौरिया आदेश  के क्रम में मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. अभय सक्सेना ने बताया कि ग्रीष्मकालीन धान की खेती करने हेतु 31 मार्च 2025 तक के लिये अनुमति इस प्रतिबन्ध के साथ प्रदान की गई है कि गेहूँ कटाई के उपरान्त 01 अप्रैल 2025 से 30 अप्रैल 2025 तक धान की नर्सरी लगाना या होना पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित रहेगा एवं धान की रोपाई 1 अप्रैल से 1 जून तक पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित रहेगी। जिसकी निगरानी हेतु तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारियों के निर्देशन में संयुक्त सर्वेक्षण टीम का गठन किया गया है जिसके द्वारा क्षेत्र में गेहूँ कटाई के उपरान्त 30 अप्रैल, 2025 तक ग्रीष्मकालीन धान की नर्सरी लगाना या घान की रोपाई जैसे कियाकलापों पर कड़ी निगरानी की जाएगी यदि किसी भी कृषक के द्वारा प्रतिबन्धित अवधि में ग्रीष्मकालीन धान की नर्सरी लगाना

 

या धान की रोपाई जैसे क्रियाकलाप करते हुए पाया जाता है तो उसके विरुद्ध नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। संज्ञान में आया है कि कतिपय कृषकों के द्वारा ग्रीष्मकालीन धान की नर्सरी डाली जा रही है जिसकी रोपाई उनके द्वारा गेहूँ कटाई के उपरान्त की जायेगी। जो कि जिला मजिस्ट्रेट नितिन सिंह भदौरिया के द्वारा दिये गये निर्देशों के विरुद्ध है, ऐसे कृषक जिनके द्वारा इस प्रकार का कार्य किया जा रहा है, सम्बन्धित उपजिलाधिकारियों के द्वारा नियमानुसार उनके खिलाफ आवश्यक कार्यवाही अमल में लायी जायेगी और वे कृषक इसके लिये स्वयं जिम्मेदार रहेंगे।

मुख्य कृषि अधिकारी ने जनपद के समस्त कृषक भाईयों एवं बहनों से अपील है कि जिन कृषकों के द्वारा रबी सीजन में मटर एवं सरसों की खेती ली गयी थी या खेत में अधिक नमी होने के कारण से वे गेहूँ की फसल का उत्पादन करने में असमर्थ थे केवल उन्हीं कृषकों को 31 मार्च तक ग्रीष्मकालीन धान की रोपाई करने हेतु अनुमति प्रदान की गयी है। 31 मार्च के बाद 1 जून तक धान रोपाई का कार्य पूर्णतः प्रतिबन्धित है, आगामी वर्षा कालीन खरीफ धान की रोपाई का कार्य 1 जून के बाद ही प्रारम्भ किया जा सकेगा।

1 thought on “गेहूँ कटाई के बाद ग्रीष्मकालीन धान की रोपाई करने पर पूर्णतः प्रतिबन्ध….”

  1. क्या इतना घोर कलयुग आ गया है कि अब किस को अपनी मर्जी से खेती बाड़ी की अनुमति भी नहीं है यह भारत के ग्रामीण भारत की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ है और भारतीय किसानों की आत्मनिर्भरता के साथ खिलवाड़ है धिक्कार है ऐसी सरकार को किसानों को खेती करने से रोकते हैं और उद्योगपतियों को धरती का सारा भूमिगत जल बी हिसाब उपलब्ध कराती है जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं पैदा हो गई हैं यह लोग मानव जाति का विनाश करने के लिए तत्पर हैं चंद पैसों के लिए

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