हल्द्वानी- हल्द्वानी शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में दो दिन दीपावली मनाए जाने से हर जगह खुशियों का पहाड़ खड़ा हो गया। दोनों दिन आसमान खूब झिलमिलाया और घर खूब जगमगाए। सौ साल में दूसरी बार ऐसा हुआ कि दिवाली दो दिन मनाई गई। जो भी हुआ, जैसे भी हुआ, अच्छा ही हुआ। शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में दो दिन दीपावली मनाए जाने से हर जगह खुशियों का पहाड़ खड़ा हो गया। दोनों दिन आसमान खूब झिलमिलाया और घर खूब जगमगाए।
सौ साल में दूसरी बार ऐसा हुआ कि दिवाली दो दिन मनाई गई। बच्चों को भी मौज का खूब मौका मिला और इस मौके पर परंपराएं निभाने वालों को भी। अमावस्या दो दिन होने के कारण कुमाऊं में कुछ लोगों ने 31 अक्तूबर और अधिकतर ने शुक्रवार यानी एक नवंबर को पर्व मनाया। पर्वतीय क्षेत्र में भी अलग-अलग जगह अलग-अलग दिन दिवाली मनाने से पूरा पहाड़ रोशन रहा। शहर में वैश्य समाज के ज्यादातर लोगों ने बृहस्पतिवार को लक्ष्मी पूजन किया। रोशनी की जगमगाहट में बृहस्पतिवार शाम 5:31 बजे से शुभ मुहूर्त शुरू हुआ।
लोगों ने गन्ने की लक्ष्मी बनाई और शृंगार कर पूजन किया। खीले-खिलौने के अलावा पकवान और मिठाई का भगवान को भोग लगाया गया। शहर और गांव बिजली की मालाओं से रोशन दिखे। शुक्रवार को देर रात तक लोगों ने आतिशबाजी का लुत्फ उठाया। बृहस्पतिवार और शुक्रवार दोनों ही दिन बाजार में काफी भीड़ रही। साहूकारा लाइन, मीरा बाजार, सदर बाजार और मंगलपड़ाव मंडी में लोगों ने खूब खरीदारी की और शाम को पूजा। ज्योतिषियों के अनुसार 100 साल में दूसरी बार ऐसा हुई कि दो दिन अमावस्या पड़ने पर दोनों ही दिन दीपावली मनाई गई है। ज्योतिष त्रिभुवन उप्रेती के मुताबिक वर्ष 1962 में ऐसा हुआ था। ज्योतिष डाॅ. नवीन चंद्र जोशी ने ऐसा पहले होने की पुष्टि की।
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