
हल्द्वानी- गौलापार क्षेत्र के काश्तकारों ने सिंचाई के लिए पानी न मिलने पर गौला बैराज पर जोरदार प्रदर्शन किया। किसानों का कहना था कि नहर में पानी न आने से उनकी गेहूं, प्याज, लहसुन, टमाटर जैसी फसलें सूखने की कगार पर पहुंच गई हैं। लंबे समय से इस समस्या की शिकायत विभागीय अधिकारियों से की गई थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
सुबह कई काश्तकार गौला बैराज पर पहुंचे और सिंचाई के लिए पानी छोड़ने की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे। इसी दौरान कुछ किसानों ने बैराज का निरीक्षण किया, तो देखा कि वहां भारी मात्रा में कूड़ा-कचरा फंसा हुआ है, जिससे पानी की आपूर्ति बाधित हो रही थी। किसानों ने खुद आगे बढ़कर श्रमदान किया और बैराज में फंसा कूड़ा हटाया, जिसके बाद नहर में पानी का प्रवाह शुरू हो गया।
प्रशासन की लापरवाही से नाराज काश्तकार
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उन्होंने कई बार सिंचाई विभाग को इस समस्या से अवगत कराया, लेकिन उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया। उनका आरोप था कि अधिकारियों की उदासीनता के कारण उनकी फसलें सूखने के कगार पर पहुंच गई हैं, जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
किसानों की मांगें
काश्तकारों ने प्रशासन से मांग की कि –
- नहरों की नियमित सफाई कराई जाए ताकि जल प्रवाह बाधित न हो।
- सिंचाई पानी की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
- जल आपूर्ति में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
- किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता दी जाए ताकि उन्हें फसल उत्पादन में किसी तरह की परेशानी न हो।
श्रमदान कर किया उदाहरण पेश
जहां एक ओर प्रशासन ने उनकी समस्याओं को अनदेखा किया, वहीं किसानों ने खुद आगे बढ़कर इसका समाधान निकाला। कुछ ही देर में उन्होंने बैराज से कूड़ा-कचरा हटा दिया, जिससे नहर में पानी का प्रवाह शुरू हो गया। इससे यह भी स्पष्ट हो गया कि यदि प्रशासन समय रहते सफाई कराता, तो किसानों को इस समस्या से जूझना न पड़ता।
प्रदर्शन में शामिल किसान
इस प्रदर्शन और श्रमदान में पूर्व बीडीसी सदस्य अर्जुन सिंह बिष्ट, चंदन राणा, देवेंद्र रवाल, पालू राणा, चंदन सिंह, गोविंद ओली, कमल राणा, हरीश पलड़िया, जगदीश सिंह बिष्ट, धरम सिंह होली समेत कई किसान शामिल रहे।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
इस प्रदर्शन और श्रमदान की जानकारी मिलने के बाद सिंचाई विभाग के अधिकारी हरकत में आए। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि जल्द ही नहरों की नियमित सफाई कराई जाएगी और पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। हालांकि, किसानों का कहना है कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो वे उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। यह घटना प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है, लेकिन साथ ही यह भी दिखाती है कि किसान खुद मिलकर समस्याओं का हल निकालने में सक्षम हैं। यदि संबंधित विभाग समय रहते किसानों की समस्याओं का समाधान करता, तो उन्हें प्रदर्शन करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। प्रशासन को अब इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए ताकि भविष्य में किसानों को ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।

