
ग्रीक त्रासदी से लेकर हास्य-व्यंग्य तक, मंच पर दिखी विविध रंगों की झलक
दून विश्वविद्यालय के रंगमंच विभाग द्वारा एक दिवसीय नाट्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें दो भिन्न शैली के नाटकों का सफल मंचन किया गया। छात्रों ने गहन विषयवस्तु और सजीव अभिनय के माध्यम से दर्शकों को भावनात्मक और बौद्धिक रूप से झकझोर कर रख दिया।
समारोह का पहला आकर्षण था “ट्रोजन विमिन”, जो प्रसिद्ध ग्रीक नाटककार यूरिपिडीस की एक मार्मिक त्रासदी है। इस नाटक का निर्देशन डॉ. अजीत पंवार द्वारा किया गया। नाटक ट्रॉय नगर की पराजय के बाद वहां की रानियों, राजकुमारियों एवं महिलाओं की व्यथा को उजागर करता है। हेकुबा, कैसांद्रा, एंड्रोमाके और हेलन जैसे पात्रों के माध्यम से युद्ध की भयावहता, स्त्री पीड़ा और भाग्य की कठोरता को गहराई से प्रस्तुत किया गया।
छात्रों की प्रस्तुति से प्रभावित होकर विश्वविद्यालय की कुलपति ने कहा कि इतनी जटिल और संवेदनशील कथा को छात्रों द्वारा मंच पर उतारना अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि वह शुरुआत में इस नाटक के चयन को लेकर आशंकित थीं, लेकिन मंचन ने हर शंका को निराधार सिद्ध कर दिया।
नाटक में राजेश भारद्वाज, अन्जेश, सरिता जुयाल, रीता कपूर, सरिता भट्ट, सोनिया वालिया, अनन्या डोभाल, स्वाति, साक्षी देवरानी, सुमन काला, मनस्वी तोमर, आयुष चंद्र चौहान, अंशुमन सिंह सजवान, विनायक सेमवाल, लोहित्य सिंह, भाविक पटेल और प्रणव पोखरियाल ने उल्लेखनीय अभिनय किया। संगीत सहयोग लोहित्य सिंह, भाविक पटेल एवं प्रणव पोखरियाल द्वारा प्रदान किया गया।
रंगमंच विभाग के संयोजक प्रो. एच.सी. पुरोहित ने अपने संबोधन में कहा कि नाट्यकला छात्रों के पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा है, जो उनके व्यक्तित्व, आत्मविश्वास और रचनात्मकता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
दूसरे नाटक “सैंया भये कोतवाल” ने मंच पर हास्य और व्यंग्य का समावेश करते हुए दर्शकों को एक हल्के-फुल्के अंदाज़ में सामाजिक सच्चाइयों से रूबरू कराया। यह प्रसिद्ध मराठी नाटक का हिंदी अनुवाद है, जिसे ऊषा बनर्जी द्वारा रूपांतरित किया गया तथा निर्देशन कैलाश कंडवाल द्वारा किया गया।
नाटक की पृष्ठभूमि सूरजपुर राज्य पर आधारित है, जहां एक राजा अपनी लापरवाही के चलते दरबारियों के षड्यंत्र का शिकार हो जाता है। इस प्रस्तुति में मुस्कान शर्मा, हर्षित गोयल, रजत राम वर्मा, नितिन कुमार, गणेश गौरव और फरमान ने शानदार अभिनय कर दर्शकों को खूब गुदगुदाया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कई संकाय सदस्य मंचन के साक्षी बने और छात्र कलाकारों के प्रदर्शन की खुले दिल से सराहना की। यह आयोजन न केवल रंगमंच के प्रति छात्रों की रुचि और प्रतिभा को दर्शाता है, बल्कि उनके सर्वांगीण विकास की दिशा में एक सशक्त कदम भी सिद्ध हुआ।

