बंगाली विस्थापित समाज की आपबीती पर लिखी रूपेश कुमार सिंह की किताब छिन्नमूल की प्रति स्थानीय साथी प्रेरणा अंशु के दफ्तर,समाजोत्थान विद्यालय,दिनेशपुर में आकर भी किताब की कीमत मात्र एक सौ बीस रुपए देकर हमसे प्राप्त कर सकते हैं। बंगाली विस्थापित समाज के इस पहले ऐतिहासिक दस्तावेज का आवरण चित्र मशहूर चित्रकार Ashok Bhowmick जी ने बनाई है और इसकी भूमिका लिखी है विश्व विख्यात लेखिका Baby Halder ने।
सत्तर के दशक के हमारे सहपाठी और आंदोलनों के साथी हरिकृष्ण ढाली, युवा लेखक,शिक्षक नितिन हालदार Nitin Haldar और ग्राम बागवाला के बुजुर्ग साहित्यकार प्रभुनाथ वर्मा जी ने प्रेरणा अंशु के दफ्तर से यह पुस्तक प्राप्त की है। इनका आभार। विस्थापन का सिलसिला जारी है। ओडीशा के केंद्रापाड़ा जिले के महाकालपाड़ा में भीतरकनिका अभ्यारण्य इलाके के सुपर साइक्लोन जोन में समुद्र तट से सटे गांवों में 1950 में बसाए गए नोआखाली के दंगापीडियों की जमीन जंगलात की बताकर उन्हें बेदखल किया जा रहा है,जिसके खिलाफ वे आमरण अनशन पर हैं।
गौरतलब है कि देश के 22 राज्यों में बंगाली विस्थापितों को पहाड़,जंगल और द्वीप वाले आदिवासी इलाकों में पुनर्वास की रस्म अदायगी के लिए लीज पर जमीन दी गई है।ज्यादातर इलाकों में लीज खत्म हो गई है।
छिन्नमुल हर हाथ में पहुंचाना इसलिए बेहद जरूरी है।
जो हम तक पहुंच नहीं सकते,वे कृपया
Rupesh Kumar Singh के नाम उनके मोबाइल नंबर 9412946162 पर गूगल पे,फोन पे या पेटीएम से मात्र 150 रुपए भेजने के बाद अपना पूरा पता,पिनकोड और मोबाइल नंबर हमें व्हाट्सएप पर भेजें तो यह किताब उन्हें रजिस्टर्ड डाक से तत्काल भेज दी जाएगी।
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