उत्तराखण्ड रुद्रपुर

378 दिन बाद किसानों की घर वापसी आंदोलन स्थगित

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 रुद्रपुर- (एम सलीम खान) (शनिवार से शुरू होगी घर वापसी उखड़ने लगे टेंट)-(11 दिसंबर को फतेह मार्च,15 को पंजाब के सब मोर्चे होंगे खत्म) दिल्ली तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 378 से जारी किसानों का आंदोलन बृहस्पति को स्थगित हो गया। किसान नेता राजेवाल ने कहा कि अहंकारी भाजपा सरकार को किसानों को आगे झुकाकर जा रहें हैं, उन्होंने कहा कि यह मोर्चे का अंत नहीं है,  हमने इसे स्थगित किया है। उन्होंने कहा कि 15 जनवरी 2022 संयुक्त किसान मोर्चा की पुनः बैठक होगी, जिसमें आंदोलन की समीक्षा करेंगे। सिंधु बॉर्डर पर किसानों ने टेंट हटाने शुरू कर दिए हैं। वही वापसी की तैयारियों भी शुरू कर दी गई है। किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के केंद्र सरकार द्वारा हस्ताक्षरित पत्र मिलने के आंदोलन खत्म करने की घोषणा की गई। उक्त पत्र में किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम एस पी) को लेकर एक समिति गठित कर उनकी लंबित मांगों पर विचार करने के लिए सहमति जताई गई। एस के एम ने बुधवार को यहां कहा था कि वह अपनी संशोधित लंबित मांगों पर केन्द्र के संशोधित मसौदा प्रस्ताव को लेकर आम सहमति पर पहुंच गया है। किसान नेता और एस के एम के वरिष्ठ सदस्य गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार ने सभी मांगों को पूरा किया है या नहीं यह देखने के लिए 15 जनवरी 2022 को एक समीक्षा बैठक बुलाई गई है। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो हम धरना पुनः शुरू करने का निर्णय ले सकते हैं। किसान नेताओं ने कहा कि किसान11 दिसंबर को अपने अपने स्थानों पर विजय मार्च निकालेंगे। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान 11 दिसंबर से दिल्ली की सीमाओं को खाली करना शुरू कर देंगे और इसमें कुछ समय लग सकता है। विशेष रूप से पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान पिछले साल 26 नवंबर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सत्ता पक्ष की हार, अन्नदाता की जीत हुई-कागेस सरकार के साथ किसान नेताओं की बातचीत के बाद आंदोलन स्थगित होने के ऐलान पर कांग्रेस ने इसे किसानों की जीत बताया है। कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसानों को शुभकामनाएं और कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 378 दिनों से सतत संघर्ष कर रहे देश के अन्नादाताओ को आखिरीकार विजय मिली है। उन्होंने सरकार इसे सरकार की हार बताया लेकिन कहा कि पुजीपातियो को पूजने वाली भाजपा सरकार के खिलाफ गरीबों, मजदूर तथा किसानों का संघर्ष नये तरीकों से जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की हार जनहित की जीत है लेकिन यह संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। किसानों को उपज का केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं बल्कि लाभकारी मूल्य भी दिलाना है। अहंकार का अंत और सत्यता की हुई जीत-अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किसान आंदोलन स्थगित होने पर देश भर के किसानों को अपनी शुभकामनाएं दी। लखनऊ में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि केंद्र सरकार का अहंकार किसानों के सामने चकनाचूर हो गया। आखिरकार सशक्त किसान आंदोलन के सामने केन्द्र की मोदी सरकार को घूटने टेकने पड़े।यादव ने कहा कि अब केंद्र सरकार को आंदोलन में शहीद हुए किसानों को भी उचित मुआवजा देने की योजना बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में शहीद हुए किसानों की आत्माओं को में नमन करता हूं। जिनके बलिदान के बाद आज यह जीत हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसान आंदोलन को कुचलने की लगातार की साज़िश करती रही, लेकिन किसानों ने मोर्चा नहीं छोड़ा। जिसके कारण मोदी सरकार को किसान आंदोलन के सामने झुकना पड़ा।

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