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“वोकल फॉर लोकल” से ली प्रेरणा, बन गई ऐपण गर्ल

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पिथौरागढ़ – ममता जोशी की होम मेड राखियों ने धूम मचा रखी है,साल 2020 तक ममता एक निजी स्कूल में शिक्षिका का कार्य करती थी

साल 2020 में कोरोना महामारी की दस्तक ने देश में आर्थिक संकट पैदा कर दिया जिस कारण ममता जैसे  अनेको युवाओं  का रोज़गार छिन्न जाने के कारण बेरोज़गारी ने अपने पैर पसार लिए ममता बताती है की  कोरोना  काल में देश के प्रधान मंत्री मोदी जी के द्वारा दिए गये एक सम्बोधन में “वोकल फॉर लोकल” मन्त्र से ममता ने  प्रेरणा ली जिससे ममता के मन में कुछ करने का विचार आया।

और ममता ने  घर पर रहकर अपने उत्तराखण्ड की संस्कृति ऐपण आर्ट से भाई बहनों के त्यौहार “रक्षा बंधन” में राखियां बनानी शुरू की जिसका नतीजा यह रहा की ममता की बनाई राखियों को लोगो ने काफी पसंद किया और अन्य राज्यों से राखियो की मांग इस साल भी अधिक रही है ।चीन निर्मित राखियो का बहिष्कार कर अपने द्वारा निर्मित रोजगार को आज अन्य राज्यों और देश में पंहुचाया जा रहा है।

जिससे आने वाले समय में हस्त निर्मित राखियो का प्रचलन बढ़ेगा। ममता ने संस्कृत विषय से एम०ए किया है ममता ऐपण वर्ल्ड नाम की एक संस्था चला रही है जिस संस्था में महिलाओं को जोड़कर आत्म निर्भर महिलाओं के लिए रोजगार का माध्यम बनना चाहती हैं ममता का मानना है की ये अभी सिर्फ एक छोटी शुरुवात है , ममता की बनाई राखियों की कीमत बाज़ार में 25 रूपये तक मिल रही है उनका कहना है की ऐपण कला को अब केवल दीवारों और देहलीज़ तक ही सिमट कर नही रखा जा सकता है ममता ने कम समय में ऐपण गर्ल के रूप में बड़ी पहचान बना ली है ।

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